वाशिंगटन । अमेरिका ने कहा है कि भारत के ग्रोथ की रफ्तार में सुस्ती की वजह उसके स्ट्रक्चरल इकोनॉमिक रिफॉर्म्स हैं। यूएस की इकोनॉमिक रिपोर्ट ऑफ द प्रेसिडेंट (ईआरपी) में यह बात कही गई है। इस रिपोर्ट में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीर पेश की गई। वहीं, भारत पर यह आरोप लगाया कि भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत कम ओपन हुई है।
जबकि भारत 1948 में ही जीएटीटी (जनरल एग्रीमेंट्स ऑफ टैरिफ एंड ट्रेड) पर दस्तखत कर चुका है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका का भारत समेत चार बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ बायलेटरल ट्रेड डेफिसिट (द्विपक्षीय व्यापार घाटा) एक साल पहले के मुकाबले 2017 के पहले तीन र्क्वाटर में कम हुआ है।
ईआरपी में कहा गया है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की ग्रोथ अच्छी है और यह आगे भी जारी रहेगी। वहीं, भारत और ब्राजील जैसे देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था को विदेशी व्यापार के लिए कम जगह दी। उन्होंने उच्च बाउंड रेट बनाए रखा और यूनिवर्सल बाइंडिंग कवरेज की अनदेखी। बाउंड रेट जीएटीटी के बातचीत के बाद तय होती है।
इसे मोस्ट फेवर्ड नेशन टैरिफ रेट कहते हैं। बता दें, जीएटीटी कई देशों के बीच एक कानूनी समझौता है। इसक मकसद टैरिफ और कोटा जैसी व्यापारिक बाधाओं को खत्म कर या घटाकर इंटरनेशनल व्यापार को प्रमोट करना है। जीएटीटी 1 जनवरी 1948 से प्रभावी है। अमेरिका चीन, सीरिया, भारत, फ्रांस समेत 23 इस संस्थापक सदस्य रहे हैं।
स्ट्रक्चरल रिफॉर्म ने रोकी रफ्तार
रिपोर्ट में कहा है कि भारत में ग्रोथ धीमी पड़ी है, इसकी वजह वहां हो रहे स्ट्रक्चरल इकोनॉमिक रिफॉर्म्स हैं। भारत में नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी ने सर्कुलेशन में 86 फीसदी कैश को खत्म कर दिया। ऐसे कदम उस समय उठाए गए जब 90 फीसदी से अधिक ट्रांजैक्शन वहां कैश में होता है। दूसरी ओर, जुलाई 2017 में लागू हुई जीएसटी ने शार्ट-टर्म में अनिश्चितता पैदा कर दी। जीएसटी ने भारत में लगभग सभी इनडायरेक्ट टैक्सेस की जगह ली है।
NPA पर जताई चिंता
यूएस की रिपोर्ट में भारत के बैंकिंग सेक्टर में बढ़ रहे नॉन परफार्मिंग लोन (एनपीएल) पर चिंता जताई गई है। इसे आगे के लिए खतरा बताया गया है। आईएमएफ को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2017 की तीसरी तिमाही में पूरे लोन में एनपीएल की हिस्सेदारी 9.7 फीसदी हो गई, जबकि चीन में यह 1.7 फीसदी रहा। रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों में एनपीएल बढ़कर खतरे के स्तर पर आ चुका है।
इसमें सबसे ज्यादा एनपीएल सरकारी बैंकों की है। रिजर्व बैंक ने यह अनुमान जताया है कि 2018 की पहली तिमाही में ग्रॉस एनपीएल की हिस्सेदारी सभी लोन में बढ़कर 10.8 फीसदी हो जाएगी, जो सितंबर 2018 तक 11 फीसदी के लेवल पर पहुंच जाएगी। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भविष्य में भारत के बैंकिंग सेक्टर में सुधर आ सकता है। क्योंकि, भारत सरकार ने सरकारी बैंकों के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपए के रिकैपिटलाइजेशन को मंजूरी दी है।
एंटी-डंपिंग पर तेजी से कदम उठाता है भारत
रिपेार्ट के अनुसार, भारत एंटी डंपिंग प्रावधानों को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने वाला देश है। व्हाइट हाउस का कहना है कि चीन, यूरोपीय यूनियन, भारत औन अन्य देशों में डेवलप किए गए एग्री प्रोडक्ट्स की मंजूरी में देरी से टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर्स, किसान और अमेरिकी कार्न, सोया, कॉटन के ट्रेडर्स के बीच मार्केट अनिश्चितचा बढ़ती है, जिससे इन प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट घटता है।
WTO के पॉल्ट्री रूल नहीं लागू करने का आरोप
ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने आरोप लगाया कि भारत पॉल्ट्री पर डब्ल्यूटीओ के फैसले को लागू नहीं कर रहा है। भारत पॉल्ट्री के लिए अपनी जरूरतों को संरक्षित करने में फैल रहा है ऐसे में अमेरिकी इम्पोर्ट्स को मंजूरी दी जानी चाहिए। दोनों देशों के बीच यह केस डब्ल्यूटीओ में चल रहा है।
रिपोर्ट में कहा है कि 2007 से भारत में कई अमेरिकी एग्री प्रोडक्ट्स को प्रतिबंधित कर दिया है। इसमें पॉल्ट्री मीट, अंडे और जीवित सुअर शामिल हैं। यह रोक इन्फ्लुएंजा के संभावित खतरे को देखते हुए लगाया गया है। जबकि, अमेरिका ने यह माना है कि इस प्रतिबंध का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
वाशिंगटन. अमेरिका ने कहा है कि भारत के ग्रोथ की रफ्तार में सुस्ती की वजह उसके स्ट्रक्चरल इकोनॉमिक रिफॉर्म्स हैं। यूएस की इकोनॉमिक रिपोर्ट ऑफ द प्रेसिडेंट (ईआरपी) में यह बात कही गई है। इस रिपोर्ट में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीर पेश की गई।
वहीं, भारत पर यह आरोप लगाया कि भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत कम ओपन हुई है। जबकि भारत 1948 में ही जीएटीटी (जनरल एग्रीमेंट्स ऑफ टैरिफ एंड ट्रेड) पर दस्तखत कर चुका है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका का भारत समेत चार बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के