जयपुर। प्रदेश में अब तक के सबसे बड़े 43 हजार करोड़ रुपए के निवेश वाली रिफाइनरी का शिलान्यास 16 जनवरी को होगा। बाड़मेर जिले के पचपदरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका शिलान्यास करेंगे। रिफाइनरी प्रदेश के एक लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार भी उपलब्ध कराएगी। शिलान्यास होते ही रोजगार के ये नए अवसर शुरू हो जाएंगे।
रिफाइनरी 2022 से पहले बनकर तैयार हो जाएगी। इससे रिफाइंड होने वाला ईंधन पर्यावरण के अनुकूल होगा। इसके अलावा रिफाइनरी की खासियत यह होगी कि यह बीएस-6 मानक और पेट्रो केमिकल काम्पलेक्स के साथ बनने वाली देश की पहली रिफाइनरी होगी। 9 मिलियन टन क्षमता की रिफाइनरी और पेट्रो केमिकल काम्पलेक्स बनाने में 43 हजार करोड़ रु. लगेंगे।
गुणवत्ता : बीएस 6 की पहली रिफाइनरी
यह रिफाइनरी बीएस-6 मानकों का तेल उत्पादन करेगी। यह उच्च गुणवत्ता के साथ सबसे रिफाइंड तेल होगा। अभी तक देश में बीएस-3 मानक के वाहनों का उत्पादन हो रहा है। इन वाहनों से प्रदूषण फैल रहा है। इनसे निकलते पर्टिकुलेट मैटर जैसे खतरनाक कण निकलते हैं। इससे अस्थमा, ब्रांकाइटिस, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है। इस खतरे के लिए मूल रूप से डीजल इंजन ही सबसे अधिक जिम्मेदार हैं।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 2020 से लाए जा रहे यूरो 6 नॉर्म यानी बीएस-6 लागू करने का आदेश दिया है। इसको ध्यान में रखकर राजस्थान में बीएस-6 मानक की रिफाइनरी लगाई जा रही है। फिलहाल चौपहिया वाहनों पर बीएस-4 मानक लागू हैं।
रिफाइनरी के आसपास बड़े पैमाने पर ग्रीनरी विकसित की जाएगी, जिससे बिल्कुल पर्यावरण का किसी प्रकार क्षति होने पाए। इस रिफाइनरी से बाहर के साथ ही राजस्थान के क्रूड आॅयल को भी रिफाइंड किया जाएगा। इसकी पहचान ग्रीन रिफाइनरी के तौर पर होगा। यह देश की सबसे अत्याधुनिक रिफाइनरी होगी।
सालाना 2514 करोड़ रु. ब्याज मुक्त कर्ज कम देना होगा
कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में रिफाइनरी लगाने के लिए जो एमओयू किया था, उसके अनुसार राज्य सरकार की ओर से रिफाइनरी कंपनी को सालाना 15 साल तक 3637 करोड़ रु. ब्याज मुक्त ऋण देना था। जबकि मौजूदा सरकार और एचपीसीएल के बीच हुए करार के अनुसार प्रदेश को अब 1123 करोड़ रु. ही प्रतिवर्ष ब्याज मुक्त ऋण देना पड़ेगा।
ऐसे में राज्य सरकार को 2514 करोड़ रु. की सालाना बचत होगी। हालांकि गहलोत सरकार में जहां रिफाइनरी और पेट्रो केमिकल काम्पलेक्स 37320 करोड़ में बनकर तैयार हो रहा था, वहीं अब इसकी लागत 43 हजार करोड़ पहुंच गई है। लेकिन लागत बढ़ने का एक कारण एक प्रोसेसिंग यूनिट एक्सट्रा लगना भी रहेगा।
रोजगार : कई फैक्ट्रियां लगेंगी
खान एवं पेट्रोलियम विभाग की प्रमुख सचिव अपर्णा अरोरा के अनुसार रिफाइनरी के निर्माण के दौरान 20 हजार प्रत्यक्ष कामगारों की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा 80 हजार से एक लाख लोग अप्रत्यक्ष तौर से रोजगार से जुड़ेंगे। पांच साल तक इतने लोग कार्य करते रहेंगे।
इसके बाद रिफाइनरी जब 2022 में काम करना शुरू करेगी तो एक हजार लोगों को प्रत्यक्ष तौर और रोजगार मिलेगा। रिफाइनरी लगने से नायलोन, प्लास्टिक बेस उद्योग, पीबीसी पाइप, कीटनाशक बनाने वाले उद्योग, फर्टिलाइजर उद्योग, कास्टमेटिक, दवा बनाने वाले कवर सहित अन्य कई तरह के उद्योग आसपास लगेंगे, जिससे एक लाख से अधिक हर तरह के लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलेगा।