नई दिल्ली। देश भर में सॉइल हेल्थ कार्ड (एसएचसी) बांटने के अभियान का पहला चरण लगभग पूरा होने वाला है। ऐसे में सरकार ने मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर किसानों को कस्टमाइज्ड फर्टिलाइजर्स (विशेष रूप से तैयार किए गए खाद) उपलब्ध कराने की योजना तैयार की है।
इस योजना के तहत चावल, मक्का, गन्ना और आलू की फसलों के लिए पांच राज्यों के 126 जिलों में एसएचसी डेटा के आधार पर 18 तरीके के कस्टमाइज्ड फर्टिलाइजर्स किसानों को मुहैया कराए जाएंगे। कस्टमाइज्ड फर्टिलाइजर्स का लाभ पाने वाले पांच राज्य उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र होंगे।
बता दें कि सरकार की इस योजना का लक्ष्य फसलों की लागत को कम कर उत्पादकता को बढ़ाना है। हालांकि इस योजना को आखिरी मंजूरी मिलना अभी बाकी है। सरकार के करीबी एक सूत्र ने बताया, ‘यह योजना अभी मंजूरी के आखिरी चरण में है। इसे लेकर जल्द ही अधिसूचना जारी होने की उम्मीद है।’
कस्टमाइज्ड फर्टिलाइजर्स का सिद्धांत (मिट्टी की गुणवत्ता की बुनियाद पर) पेड़-पौधों के पोषण पर केंद्रित होता है। इस बारे में एक अधिकारी ने कहा, ‘अब एसएचसी होने की वहज से हमारे पास लगभग सभी तरह की मिट्टी की पोषकता के बारे में जानकारी मौजूद है।
ऐसे में (मिट्टी की गुणवत्ता को ध्यान में रखकर तैयार किए गए) कस्टमाइज्ड फर्टिलाइजर्स फसलों की लागत घटाने और उत्पादकता बढ़ाने में किसानों की मदद करेंगे।’ सूत्रों के मुताबिक 126 जिलों में कस्टमाइज्ड फर्टिलाइजर्स उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने नागार्जुन और इंडो-गल्फ फर्टिलाइजर सहित तीन खाद निर्माताओं के नामों पर विचार किया है।