नई दिल्ली। नेशनल मेडिकल कमीशन बिल पार्लियामेंट की स्टैंडिंग कमेटी को भेजे जाने के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अपनी हड़ताल वापस ले ली है। उसका कहना है कि वह कमेटी का फैसला आने तक हड़ताल नहीं करेगी। हालांकि, इससे पहले एसोसिएशन की अगुआई में देशभर के सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर्स मंगलवार को दोपहर बाद तक हड़ताल पर रहे।
क्या है मामला?
– नेशनल मेडिकल कमीशन बिल शुक्रवार को संसद में पेश किया था। केंद्र सरकार इसके जरिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की जगह नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बनाना चाहती है। आईएमए इसका विरोध कर रही है।
बिल से और क्या बदलाव होगा?
इस बिल में अल्टरनेटिव मेडिसिन (होम्योपैथी, आयुर्वेद, यूनानी) की प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के लिए एक ब्रिज कोर्स का प्रप्रोजल है। इसे करने के बाद वे मॉडर्न मेडिसिन की प्रैक्टिस भी कर सकेंगे।
बिल का विरोध क्यों कर रहा आईएमए?
– आईएमए के पूर्व प्रेसिडेंट केके अग्रवाल के मुताबिक, “इस बिल में ऐसे प्रोविजन्स हैं, जिससे आयुष डॉक्टर्स को भी मॉडर्न मेडिसिन प्रैक्टिस करने की परमिशन मिल जाएगी। जबकि इसके लिए कम से कम एमबीबीएस क्वालिफिकेशन होनी चाहिए। इससे नीम-हकीमी करने वाले भी डॉक्टर बन जाएंगे।”
– डॉक्टर अग्रवाल का दावा है कि इस बिल में प्राइवेट कॉलेजों को मनमाने तरीके से फीस वसूलने की छूट दी गई है।
क्या है मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया?
– इंडियन मेडिकल एसोसिएशन देशभर के मेडिकल प्रोफेशनल्स की रिप्रेंजेटेटिव बॉडी है। देश का कोई भी रजिस्टर्ड डॉक्टर इसका चुनाव लड़ सकता है और अपना लीडर चुनने के लिए वोट कर सकता है।
क्या नेशनल मेडिकल कमीशन में भी इलेक्शन का ऑप्शन है?
– नहीं, इसमें गवर्नमेंट द्वारा चुने गए चेयरमैन और मेंबर्स रखे जाएंगे। इसके अलावा बोर्ड मेंबर्स को कैबिनेट सेक्रेटरी के अंडर में काम करने वाली सर्च कमेटी चुनेगी।