नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक आज से शुरू होगी, जो मौजूदा वित्त वर्ष की पहली बैठक है। ऐसी उम्मीद है कि नीतिगत रीपो दर में 25 आधार अंकों की और कटौती संभव है हालांकि इससे ज्यादा कटौती की संभावना भी दिख रही है।
इसके अलावा नीतिगत दरों को बैंक ऋण और जमा दरों में अमल करने के लिए नकदी संबंधी उपायों पर ध्यान दिया जाएगा। आरबीआई ने नीतिगत बैठक से पहले बैंकरों के साथ कई बार बैठक की ताकि नकदी से जुड़े ढांचे पर प्रतिक्रिया मिल सके। नकदी से जुड़े संशोधित फ्रेमवर्क पर बात भी एजेंडे में शामिल है।
अप्रैल की एमपीसी बैठक अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा पिछले हफ्ते घोषित किए गए बराबरी के शुल्क की पृष्ठभूमि में हो रही है जिसका असर घरेलू वृद्धि पर पड़ सकता है। यह देखा जाना बाकी है कि केंद्रीय बैंक, मुद्रास्फीति की तुलना में वृद्धि को प्राथमिकता देता है या नहीं जो अगले कई महीने तक 4 फीसदी के लक्ष्य से नीचे रहने की उम्मीद है और इसके लिए तटस्थ रुख से उदार रुख अपनाने की जरूरत हो सकती है।
बार्कलेज के एक अर्थशास्त्री ने एक नोट में कहा, ‘हम वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि सालाना आधार पर 6.7 फीसदी के स्तर पर देख रहे हैं जिसका अर्थ है वित्त वर्ष 2024-25 के लिए औसत जीडीपी वृद्धि सालाना आधार पर 6.2 फीसदी है। यदि ऐसा होता है तब यह सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (मॉस्पी) और आरबीआई के 6.5 फीसदी के सालाना पूर्वानुमान से 30 आधार अंक कम होगा।’
इसमें कहा गया, ‘आरबीआई एमपीसी को अपने अनुमानित लक्ष्य से कम मुद्रास्फीति और वृद्धि नतीजों का सामना करना पड़ रहा है जिसकी वजह से लगातार दूसरी बार नीतिगत रीपो दर कटौती की गुंजाइश तैयार हो रही है। अनुमानित सीपीआई मुद्रास्फीति की तुलना में कम होने से अब पूरे आसार हैं कि एमपीसी गैर-मानक आधार पर 35 आधार अंकों की कटौती करे।’
जनवरी और मार्च के बीच करीब 8 लाख करोड़ रुपये की नकदी दिए जाने के बाद केंद्रीय बैंक ने हैरान करते हुए पिछले हफ्ते खुले बाजार के जरिये 80,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीद योजना की घोषणा की। इस घोषणा के बाद सॉवरिन बॉन्ड यील्ड तीन वर्षों में अपने निचले स्तर पर पहुंच गया। इस कदम का मकसद, बहुप्रतीक्षित ब्याज दर कटौती से पहले बैंकिंग तंत्र में पर्याप्त नकदी मुहैया करना था ताकि नीतिगत दरों को बेहतर तरीके से लागू किया जा सके।
मार्च के अंतिम सप्ताह में एक रिपोर्ट में बैंक ऑफ अमेरिका ने कहा है, ‘हम यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि रिजर्व बैंक नकदी डालना जारी रखेगा और इसके लिए केंद्रीय बैंक ने वैरिएबल रेट रीपो ऑपरेशन, बॉन्ड खरीद और फॉरवर्ड स्वैप का इस्तेमाल किया है, जिससे नकदी की स्थिति बेहतर बनी रहे।’
नीतिगत दर तय करने वाली 6 सदस्यों की समिति ने फरवरी में रीपो दर में 25 आधार अंक की कटौती की थी। दर में यह कटौती करीब 5 साल के बाद हुई। मौद्रिक नीति समिति के सभी सदस्यों ने एकमत से दर घटाने के पक्ष में मतदान किया था।
पिछले सप्ताह सरकार ने आर्थिक थिंक टैंक नैशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की डायरेक्टर जनरल पूनम गुप्ता को रिजर्व बैंक का डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया था। गुप्ता को अन्य जिम्मेदारियों के अलावा महत्त्वपूर्ण मौद्रिक नीति की जिम्मेदारी मिलने की संभावना है।
जनवरी में माइकल पात्र का कार्यकाल समाप्त होने के बाद नियमन के प्रभारी डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव इस विभाग को संभाल रहे हैं। मौद्रिक नीति के प्रभारी डिप्टी गवर्नर एमपीसी के भी सदस्य होते हैं। अप्रैल में होने जा रही मौद्रिक नीति समिति की बैठक में भी राव हिस्सा लेंगे, क्योंकि गुप्ता को अभी कार्यभार संभालना है।