कोटा। ओसीडी (Obsessive-compulsive disorder) नामक मानसिक रोग के विषय में जागृति पैदा करने के लिए रविवार को एक मोटिवेशनल वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मनोचिकित्सक नीना विजयवर्गीय ने बताया कि ऑब्सेशन्स हमारी सामान्य मानसिक क्रिया में दखल देने वाले और परेशान करने वाले मानसिक छवियां या विचार होते हैं, जो बार-बार दोहराते रहते हैं।
कंपल्शंस वे व्यवहार हैं, जिनको ऑब्सेशन्स के जवाब के रूप में व्यक्ति करता है। इनमें कुछ व्यवहार जैसे हाथ धोना, गिनती करना आदि दोहराए जाते हैं। अनुमान है कि 100 में से 1 वयस्क को ओसीडी होता है। भारत में इस बीमारी की शुरूआत की औसत आयु 25 से 30 वर्ष है। यह विकार उच्च सामाजिक स्तर और उच्च बुद्धि वाले व्यक्तियों और रचनात्मक (क्रिएटिव) लोगों में आम है।
इसके लक्षणों में दूषित या गंदा हो जाने की भावना, असुरक्षा का संदेह या शक होना, परेशान एवं दखल देने वाले विचार जो आमतौर पर यौन या आक्रामक प्रकृति की होते हैं, चीजों को जमा करना, चीजों को समरूपता में जमाना या क्रम में रखना आदि शामिल हैं।
इसके कारणों में आनुवांशिकी, जैविक कारक, तनावपूर्ण जैविक घटनाएं या अन्य मानसिक विकार जैसे डिप्रेशन, एंजाइटी आदि शामिल हैं। इसके उपचार के लिए दवाइयां, काउंसलिंग, ग्रुप थैरेपी, जीवनशैली में बदलाव, सीबीटी आदि उपयोग किए जाते हैं।