नई दिल्ली। Yellow Peas Import: सस्ती पीली मटर की आपूर्ति एवं उपलब्धता में जबरदस्त बढ़ोत्तरी होने के कारण चना, तुवर, उड़द एवं मसूर सहित अन्य दलहनों की मांग घट गई है और कीमतों पर दबाव पड़ने लगा है।
अत्यन्त विशाल मात्रा में हो चुके आयात को देखते हुए अब सरकार को पीली मटर का आयात रोकने पर विचार करना चाहिए। वस्तुतः सरकार ने जिस उद्देश्य के लिए दिसम्बर 2023 में पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति प्रदान की थी यह पूरा हो चुका है। वर्ष 2024 के दौरान पीली मटर के साथ-साथ उड़द, तुवर एवं देसी चना के आयात में भी भारी वृद्धि हुई।
यद्यपि मसूर के आयात में गिरावट दर्ज की गई लेकिन फिर भी इसकी मात्रा 10 लाख टन से ऊपर ही रही। सरकार का इरादा घरेलू प्रभाग में दाल-दलहन की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाकर इसकी कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने का था जो अब पूरा हो गया है।
उधर इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (आईपीजीए) के चेयरमैन का कहना है कि दाल दलहनों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए देश को संतुलित नीति की जरूरत है। आयातित दलहनों का भाव हमेशा न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर होना चाहिए ताकि स्वदेशी किसानों को लाभप्रद दाम मिलता रहे।
यदि आयातित दलहनों की कीमत समर्थन मूल्य से नीचे रहेगी तो इससे भारतीय किसानों को नुकसान होगा और उसका उत्साह एवं आकर्षण घट जाएगा। यदि पीली मटर जैसे सस्ते दलहनों का आयात जारी रहा तो इससे बाजार में असंतुलन पैदा होगा। एक तरफ सरकार सभी दलहनों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में नियमित रूप से इजाफा कर रही है और दूसरी ओर विदेशों से इसके शुल्क मुक्त आयात की अनुमति भी दे रही है।
वस्तुतः देश में दलहनों का सामान्य आयात नहीं हो रहा है बल्कि आयातित माल का विशाल भंडार बनाया जा रहा है। यह नीति सही नहीं है और इसे पूरी तरह बंद किए जाने की आवश्यकता है। किसानों को हर हाल में उसके उत्पादों का आकर्षक और लाभप्रद मूल्य अवश्य मिलना चाहिए। सस्ते दलहनों के रिकॉर्ड आयात से तुवर, उड़द, चना एवं मसूर का घरेलू बाजार भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास और कहीं-कहीं उससे नीचे आ गया है।