कोटा ।आजीविका के लिए किसान की निर्भरता खेती और पशुपालन पर ही है। ऐसे में इनकी आमदनी इनकी जरूरतों और जोखिम की भरपाई करने के लिहाज से अक्सर कम पड़ जाती है। इसे पूरा करने के लिए प्रदेश के किसानों को सरकार वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करेगी।
इससे पेड़ों से मिलने वाले फल, औषधी, छाल पत्तों का व्यापार किसानों की आमदनी में इजाफा करेगा। इस उद्देश्य को लेकर सरकार कृषि वानिकी सब मिशन राष्ट्रीय टिकाऊ खेती मिशन योजना शुरु करेगी। यह योजना जनवरी से शुरू होगी। कृषि विस्तार के संयुक्त निदेशक पीके गुप्ता ने बताया है कि योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को कृषि पर्यवेक्षक के साथ मिलकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
उसके बाद जिलेवार योजना के प्रावधान के अनुसार चयनित लाभार्थी किसान को पौधों का आवंटन किया जाएगा। लाभांवित होने वाले किसान को सरकार जीओ टैगिंग से भी जोड़ेगी। इसे लेकर 4 साल की कार्ययोजना तैयार की गई है। सरकार ने एक पौधा लगाने की लागत 70 रुपए माना है।
100 से 500 पौधे लगाने पर 50 प्रतिशत अनुदान
100 से 500 पौधे लगाने पर लाभार्थी किसान को 50 फीसदी अनुदान दिया जाएगा। फिजिकल वैरिफिकेशन के बाद अनुदान राशि का 60 फीसदी हिस्सा भारत सरकार 40 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार देगी। जो कार्ययोजना के तहत 4 किश्तों में मिलेगा। प
हले साल में पचास फीसदी अनुदान का 40 फीसदी राशि ही किसान को मिलेगी। दूसरे, तीसरे चौथे वर्ष में उसे 20-20 फीसदी अनुदान राशि मिलेगी। योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास मृदा स्वास्थ्य कार्ड होना जरूरी है। योजना के तहत किसान के खेत पर जैविक कार्बन सुधार की मॉनिटरिंग भी होगी।
यह पौधे लगा सकते हैं किसान
संयुक्त निदेशक गुप्ता ने बताया कि फलदार वृक्ष में आम, जामुन, बेलपत्र, अमरूद, लसोड़ा, शहतूत, अनार, आंवला, गुंदा, गुंदी, इमली, नींबू, महुआ, करोंदा, पीपला, बेर, सीताफल, खिरनी। छायादार में बड़, पीपल, सैजना, नीम, करंज, सिरस, कदंब, अर्जुन, कोहड़ा। इमारती वृक्ष में शीशम, बबूल, रोहिड़ा, सागवान, बांस पॉपलर।
जलाऊ लकड़ी के वृक्ष में देशी बबूल, खेजड़ी, जंगल जलेबी चुरेल। चारे वाले वृक्ष में खेजड़ी, अरडू, सहजना, झाड़ी बेर। अन्य में चंदन, कूमठा, तेंदू, अमलतास, कचनार, सिल्वर आदि को सूची में शामिल किया है।
नर्सरी लगाकर भी बढ़ा सकते हैं आमदनी
इस योजना के तहत किसानों को खेत पर पौधों की नर्सरी डवलप कर आय प्राप्त करने का मौका भी दिया है। 1 हेक्टेयर में नर्सरी तैयार करने का सरकार ने 16 लाख रुपए का प्रावधान रखा है। लेकिन किसान को उसकी क्षमता 50 हजार पौधों की रखनी होगी। पौधे बेचकर आय प्राप्त कर सकते हैं।