देश की अर्थव्यवस्था के लिए सर्वोत्तम काम करने की कोशिश करेंगे: संजय मल्होत्रा

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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के नवनियुक्त गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मंगलवार को कहा कि वह हालात को समझने और अर्थव्यवस्था के लिए सर्वोत्तम काम करने की कोशिश करेंगे। मल्होत्रा को एक दिन पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक का 26वां गवर्नर नियुक्त किया गया है।

वित्त मंत्रालय के बाहर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए मल्होत्रा ​​ने कहा, ‘मुझे पहले पदभार ग्रहण करने, उस जगह और सभी पहलुओं को समझने दीजिए। वहां अलग भूमिका है। अर्थव्यवस्था के लिए जो भी जरूरी होगा, हमें सर्वोत्तम करना होगा।’

56 साल के मल्होत्रा उस समय रिजर्व बैंक के गवर्नर का पदभार संभालने जा रहे हैं जब सुस्त होती अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए ब्याज दर में कटौती की बातें जोर-शोर से उठ रही हैं। वित्त वर्ष 25 की जुलाई – सितंबर की तिमाही में भारत की आ​र्थिक वृदि्ध सात तिमाही में सबसे कम महज 5.4 फीसदी थी।

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने बीते सप्ताह रीपो रेट यानी बेंचमार्क ब्याज दरों को 6.5 फीसदी पर यथावत रखा था। समिति ने महंगाई को काबू में रखने के लिए दर को यथावत रखा था लेकिन नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 50 आधार अंक कम करके अधिक नकदी मुहैया करवाई।

यूबीएस सिक्योरिटीज की भारत की मुख्य अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन का मानना है कि रिजर्व बैंक के नए गवर्नर को वृद्धि के जो​खिमों और हालिया समग्र उपभोक्ता मूल्य सूचकांक महंगाई (अक्टूबर में 6.2 फीसदी) के बीच संतुलन बनाने की जरूरत होगी। महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक के मध्यम अवधि के लक्ष्य 4 फीसदी से काफी अधिक है। उन्होंने कहा ‘नए गवर्नर के वित्त मंत्रालय से आने के कारण बाजार के प्रतिभागियों का अनुमान है कि मौद्रिक नीति के फैसलों में सरकार अधिक जोरदार भूमिका निभा सकती है।’

एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज की मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा के अनुसार मल्होत्रा ने अपने राजस्व सचिव के कार्यकाल के दौरान पूंजी बाजार पर करों को लेकर सख्त निर्णय लिए हैं। इसमें सभी परिसंपत्ति वर्गों पर पूंजीगत लाभ कर तर्कसंगत बनाना शामिल है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि उन्होंने हाल में अत्यधिक कर अनुपालन और कारोबारी गतिविधियों पर नोटिस जारी करने के नकारात्मक पक्ष को स्वीकारा है।’

जैन ने कहा कि खाद्य वस्तुओं के दामों में आई उछाल आने वाले कुछ महीनों में कम होने की उम्मीद है। ऊर्जा के कम दाम और लागत घटने के कारण समग्र खुदरा महंगाई में राहत मिलने की उम्मीद है।