नई दिल्ली। Monetary Policy Committee Meeting: भारतीय रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक बुधवार से शुरू होगी। एमपीसी बैठक के नतीजों की घोषणा शुक्रवार को की जाएगी।
पूर्व प्रशासनिक अधिकारी शक्तिकांत दास को पहली बार 2018 में आरबीआई का गवर्नर नियुक्त किया गया था। उसके बाद 2021 में उन्हें सेवा विस्तार मिला था और उनके मौजूदा कार्यकाल की अवधि अगले हफ्ते समाप्त हो रही है।
एमपीसी की बैठक अहम होती है क्योंकि इसमें अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों के भविष्य की दिशा तय की जाती है। समिति के प्रत्येक सदस्य के पास रीपो दर और नीतिगत रुख पर एक-एक मत देने का अधिकार होता है। अगर सदस्यों के मत बराबर होते हैं तो गवर्नर दूसरा या निर्णायक वोट देते हैं।
2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो दर में 250 आधार अंक की बढ़ोतरी किए जाने के बाद समिति ने दरें यथावत रखी हैं। अक्टूबर की नीतिगत बैठक में रुख को बदलकर तटस्थ कर दिया गया था। समिति के बाहरी सदस्य नागेश कुमार ने अक्टूबर की बैठक में रीपो दर 25 आधार अंक घटाने के पक्ष में अपना मत दिया था।
6 सदस्यीय समिति में तीन बाहरी सदस्य अपेक्षाकृत नए हैं और अक्टूबर की बैठक में उन्होंने पहली बार हिस्सा लिया था। बाहरी सदस्यों का कार्यकाल 4 साल तय किया गया है। सरकार ने पहले ही आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र के उत्तराधिकारी तलाशने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिनका वर्तमान कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो रहा है।
दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 5.4 फीसदी रहने के बाद दिसंबर की बैठक हो रही है, इसलिए इसे अहम माना जा रहा है। आरबीआई ने जीडीपी वृद्धि दर 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।
यूबीएस की भारत में मुख्य अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने कहा, ‘सितंबर तिमाही में अनुमान से धीमी जीडीपी वृद्धि रहने से आरबीआई पर देर-सवेर रीपो दर घटाने का निश्चित तौर पर दबाव बढ़ेगा। मगर उसे मौसमी कारकों के कारण बढ़ रही खुदरा मुद्रास्फीति को भी ध्यान में रखना होगा।’