पंचकल्याणक महोत्सव: जन्मकल्याणक शोभायात्रा में दिखा श्रद्धा का जन सैलाब

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कोटा। Panchkalyanak Pratistha Mahotsav:आध्यात्मिक विशुद्ध ज्ञान वर्षायोग समिति कोटा द्वारा श्री मज्जिनेन्द्र 1008 अरिष्ट नेमिनाथ भगवान के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन श्री जी को जलाभिषेक एवं शांति धारा संपन्न हुई। इसके बाद जन्म कल्याण के कार्यक्रम आरंभ। श्रुत संवेगी मुनि आदित्य सागर के सानिध्य में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रातः 7:00 बजे जाप्य, अभिषेक, नित्य पूजन एवं गर्भ कल्याणक पूजन का शुभारंभ हुआ।

प्रातः 8:30 बजे तीर्थंकर प्रभु के जन्म के समय इन्द्रासन कंपन, देवों द्वारा जन्मोत्सव एवं प्रोक्षण विधि संपन्न की गई। चित्रअनावरण एवं दीपप्रज्जोलन के पुण्यार्जक मनोज -नेहा, आशीष -रोजी जैसवाल परिवार रहा।

सकल समाज के महामंत्री विनोद टोरडी ने गुरूदेव संसघ को जिनवाणी भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। प्रातः 10:00 बजे मुनि आदित्य सागर के मंगल प्रवचन के उपरान्त भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया।

इस जन्मकल्याण शोभायात्रा में 300 इंद्र-इन्द्राणी, 50 प्रमुख इंद्र-इन्द्राणी, 16 अष्ठ कुमारियां, 25 ढोल सदस्य, कर्नाटक के चिंदे बैंड, उदयपुर के सेमारी बैंड, एरावत हाथी और बग्गियों पर सौधर्म इंद्र भी शोभायात्रा में शामिल थे।

शोभायात्रा में सकल समाज के सरंक्षक राजमल पाटोदी, अध्यक्ष विमल जैन नांता, कार्याध्यक्ष जे के जैन, प्रकाश बज, मंत्री विनोद टोरडी, मनोज जैसवाल, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज आदित्य, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा, ऋद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, संजय सांवला, पारस कासलीवाल,अंकित जैन और श्री चन्द्र प्रभु दिगंबर जैन मंदिर समिति के लोग उपस्थित रहे।

एरावत पर सवार सौधर्म इंद्र
जन्मकल्याण शोभायात्रा का दृश्य बहुत ही विंहगम था। 9 ऐरावत हाथी व 26 बग्गियों पर सवार होकर बैण्ड बाजे के साथ बाल स्वरूप भगवान नेमिनाथ की जन्मकल्याणक शोभायात्रा शोर्यपुर (सभा स्थल) से सुमैरू पर्वत (पार्श्वनाथ निलय ग्राउंड) की ओर रवाना हुई। जन्म कल्याणक के अवसर पर सौधर्म इंद्र द्वारा तीर्थंकर के नवजात स्वरूप को ऐरावत हाथी पर विराजमान कर पांडुक शिला पर ले जाने की परंपरागत क्रिया का आयोजन पार्श्वनाथ निलय ग्राउंड में किया गया।

ढोल व बैण्ड की थाप पर नाचते गाते लोग पार्श्वनाथ निलय तक पहुंचे। दोपहर 1:00 बजे मंदिर में 81 कलशों से वेदी शुद्धि एवं संस्कार हुआ, जबकि दोपहर 2:00 बजे राज दरबार में बधाईयां एवं देवराज इंद्र का तांडव नृत्य का आयोजन किया गया। शाम 4:00 बजे मुनिश्री के मंगल प्रवचन और रात्रि 7:00 बजे श्री जी की आरती, शास्त्र सभा, पालना एवं बाल क्रीड़ा का कार्यक्रम रखा गया।

महापुरुषों का जन्म गुणों के साथ होता है
इस अवसर पर मुनिश्री आदित्य सागर ने प्रवचन में कहा कि महापुरुषों का जन्म गुणों के साथ होता है। वे कर्मों से मुक्त होकर जन्म लेते हैं और अपने गुणों के साथ ही जन्म लेते हैं। जन्म लेते समय भी देवता उनका प्रणाम करते हैं। उन्होने सदपुरूष के गुणो को बताया। मुनिश्री ने कहा कि महापुरुष बार-बार जन्म नहीं लेते है।

तप कल्याण महोत्सव का आयोजन आज
12 नवम्बर को तप कल्याण महोत्सव का आयोजन होगा। अभिषेक व शांति हवन के उपरान्त दोपहर 12 बजे नेमी कुमार की बारात निकाली जाएगी। राज दरबार,32मुकुटबद्ध राजाओं द्वारा भेंट,श्री कृष्ण बरराम संवाद,राज्याभिषेक व वैराग्य दर्शन व दीक्षा विधि संस्कार का आयोजन किया जाएगा।