Shriram Katha: सत्कर्म को यदि बुरी नीयत से किया जाए तो कर्मफल नष्ट हो जाते हैं

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पंडित विजयशंकर मेहता ने श्रीराम कथा में छठे दिन किया लंका काण्ड का वर्णन

कोटा। Shriram Katha: राष्ट्रीय मेला दशहरा 2024 के अंतर्गत श्रीराम रंगमंच पर चल रही श्रीराम कथा में छठे दिन व्यासपीठ से पं. विजयशंकर मेहता ने लंका कांड का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने कहा कि सत्कर्म को यदि बुरी नीयत से किया जाए तो कर्मफल नष्ट हो जाते हैं। हर व्यक्ति के मन में इच्छाएं होती हैं।

इन इच्छाओं को कभी समाप्त नहीं किया जा सकता है। इनका मुंह मोड़ना पड़ता है। इच्छाएं यदि संसार की तरफ मुड़ जाएं तो भी आसक्ति बन जाती हैं और यदि ईश्वर की तरफ मुड़ जाएं तो भक्ति बन जाती हैं।

पंडित विजय शंकर मेहता ने रावण वध के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि स्वरूप रावण का वध हो गया, लेकिन अरूप रावण अभी भी जिंदा है। उसकी हर साल हाइट बढ़ रही है। उन्होंने “रावण को हर साल जलाया, जीवित रही बुराई जी ..अंदर रावण जिंदा रखा, बाहर आग लगाई जी..” भजन की पंक्तियां गुनगुनाते हुए कहा कि उस रावण ने सीता पर कुदृष्टि डाली थी और वह मारा गया। हमारे अंदर का रावण भी स्त्री पर कुदृष्टि डालता है।

उन्होंने कहा कि माता-पिता ने दुर्गुण नहीं मारे तो बच्चों में चले जाएंगे। अभी तो फिर भी मर्यादा बची है, भविष्य में यह दुर्गुण बहुत बुरे रूप में सामने आएंगे। पंडित विजय शंकर मेहता ने कहा कि जीवन की यात्रा में समय व ऊर्जा का सदुपयोग करें और लक्ष्य को कभी भी विस्मृत ना होने दें।

उन्होंने कहा कि अकेलेपन को एकांत में बदलने की कला को “ध्यान” कहा गया है। जैसे ही ध्यान घटता है, अकेलापन एकांत में बदल जाता है। ध्यान कार्य की सबसे बड़ी बाधा मन की सक्रियता है, इसलिए मन को नियंत्रित करना होगा।

मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी ने बताया कि श्रीराम कथा का समापन बुधवार को होगा। जिसमें श्रीरामचरितमानस के उत्तर काण्ड का वर्णन किया जाएगा। बुधवार को श्रीराम रंगमंच पर 1.30 बजे से 3:30 तक रामकथा होगी।