कोच्चि। प्रतिकूल मौसम एवं प्राकृतिक आपदाओं के प्रकोप से फसल को हुए भारी नुकसान के कारण छोटी (हरी) इलायची के घरेलू उत्पादन में इस बार पिछले साल के मुकाबले करीब 25-30 % की भारी गिरावट आने की संभावना है जबकि कुछ विश्लेषक इलायची का उत्पादन 40 प्रतिशत तक घटने का अनुमान लगा रहे हैं।
यदि ग्वाटेमाला से नेपाल के रास्ते तस्करी नहीं हुई तो आगामी महीनों में इलायची का घरेलू बाजार भाव ऊंचा और तेज रह सकता है। इलायची के नए माल की आवक इस बार काफी देर से शुरू हुई और अब नीलामी केन्द्रों में इसकी आपूर्ति बढ़ने लगी है। कुछ समय तक आपूर्ति का प्रेशर रहेगा और जब छोटे-छोटे उत्पादकों का माल बिक जाएगा तक आवक की गति धीमी पड़ सकती है।
उत्पादन में गिरावट की संभावना को देखते हुए बड़े-बड़े उत्पादक आगामी महीनों में भाव सुधरने की उम्मीद से इलायची का स्टॉक दबाने का प्रयास कर सकते हैं। इससे कीमतों को सहारा मिलने की संभावना है। आमतौर पर इलायची का भाव मजबूत बना रह सकता है।
पिछले दिनों आयोजित एक नीलामी में 71,433 टन इलायची की आवक हुई और इसका औसत मूल्य 2231 रुपए प्रति किलो के करीब दर्ज किया गया जो 10 अक्टूबर को आयोजित नीलामी के औसत मूल्य 2238 रुपए प्रति किलो से कुछ नीचे रहा। आपूर्ति का पीक सीजन आरंभ होने से कुछ दिनों तक आवक का दबाव रहेगा और इसके बाद स्थिति सामान्य हो जाएगी।
घरेलू प्रभाग में त्यौहारी सीजन की मांग को पूरा करने के लिए इलायची का कारोबार हो रहा है। आगे भी इसकी अच्छी मांग रह सकती है। मध्य एशिया एवं खाड़ी क्षेत्र के देशों की लिवाली निकलने पर बाजार मजबूत रहेगा। अंतर्राष्ट्रीय निर्यात बाजार में एक बार फिर भारतीय इलायची को ग्वाटेमाला की प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। वहां भी फसल कमजोर बताई जा रही है।