बुरे वक्त में भी हम विचलित न हों बल्कि, मुस्कुरा कर सामना करें: आदित्य सागर

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कोटा। जैन मंदिर ऋद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में आदित्य सागर मुनिराज चातुर्मास के अवसर पर सोमवार को अपने नीति प्रवचन में कहा कि हर समय एक जैसा नहीं होता, जीवन में अच्छे और बुरे दोनों तरह के पल आते हैं। जब बुरा समय आता है, तो अक्सर लोग दूसरों को दोष देते हैं और कभी भगवान, गुरु, या परिवार को।

यह सोचने लगते हैं कि कहीं किसी ने कुछ गलत किया होगा। यही नकारात्मकता उनके बुरे समय को और बढ़ा देती है। लेकिन, यदि हम इस सोच को रोकने की कोशिश करें, तो हम उस बुरे वक्त की अवधि को छोटा कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि बुरा समय आने पर नकारात्मक सोच को दूर करना आवश्यक है, क्योंकि यह भाव बुरे वक्त को और लंबा कर देता है। अगर हम सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं और यह सोचें कि बुरा वक्त कैसे जाएगा, तो यह जल्दी समाप्त हो सकता है। बुरा समय हमें यह सिखाने आता है कि कौन हमारा सच्चा साथी है और कौन नहीं। यह अनुभव जीवन में मूल्यवान सबक देता है। इसलिए, बुरे वक्त को दोष देने की बजाय, उससे सीखना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह समय हमें सिखाता है कि जीवन में बुरा वक्त हमें सच्चाई दिखाने और सिखाने आता है। जो लोग बुरे वक्त में डटकर सामना करते हैं, वे इससे पार पा जाते हैं। बुरा वक्त जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय है जो हमें यह सिखाता है कि कौन सच्चा साथी है और कौन नहीं।

उन्होंने कहा कि इसलिए, जब भी बुरा वक्त आए, उसे सिखाने वाला मानें और डरने की बजाय मुस्कुराते हुए उसका सामना करें। जैसे एक भैंसा शेर के सामने डटकर खड़ा हो जाता है, वैसे ही हमें भी बुरे समय में अडिग रहना चाहिए। मुस्कुराते रहिए, क्योंकि मुस्कान आपकी ऊर्जा और इम्युनिटी को बढ़ाती है और यही आपको बुरे समय से उबारने में मदद करती है।

इस अवसर पर सकल दिगम्बर जैन समाज के कार्याध्यक्ष जेके जैन, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज आदित्य, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा, ऋद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, पारस कासलीवाल, पारस लुहाड़िया, दीपक नान्ता, पीयूष बज, दीपांशु जैन, राजकुमार बाकलीवाल, जम्बू बज, महेंद्र गोधा, पदम बाकलीवाल, अशोक पापड़ीवाल सहित कई शहरों के श्रावक उपस्थित रहे।