करोड़ों रुपये खर्च के बाद भी चंबल दूषित, जाजू ने किया चंबल का अवलोकन

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दस साल बाद भी एनजीटी के निर्देश की पालना नहीं, दुबारा लगाई याचिका

कोटा। देश की एकमात्र घड़ियाल सेंचुरी चम्बल नदी में पीपुल फॉर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी एवं पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू की 10 वर्ष पूर्व दायर याचिका में पारित आदेशों की पालना कोटा प्रशासन नहीं कर पाया, जिसके चलते नदी में शहर के सैकड़ों छोटे -बड़े गंदे नाले एवं कुछ औद्योगिक इकाईयों का दूषित पानी और डिस्पोजल कचरा चंबल नदी में अनवरत जा रहा है।

जाजू ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेन्ट्रल जोनल बैंच भोपाल में निर्णित हो चुकी याचिका संख्या 318/2014 बाबूलाल जाजू बनाम राजस्थान राज्य व अन्य में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भोपाल बैंच ने गंदे नालों को चम्बल में जाने से रोककर नालों के एसटीपी प्लांट लगाकर पानी को साफ करके ही चम्बल में छोड़े जाने के निर्देश दिये थे। जिस पर कोटा प्रशासन, स्थानीय निकायों और प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा एकमात्र एसटीपी प्लांट लगाया गया है, जो पूरी तरह से कार्य भी नहीं कर रहा है।

सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद लगभग 15 प्रतिशत पानी का शोधन ही हो रहा है। बाकी सीधे नदी में जा रहा है, जिससे सड़ांध आ रही है। जाजू ने सोमवार को पत्रकारों को बताया कि एनजीटी के आदेश की पालना नहीं होने पर करीब एक वर्ष पूर्व पुनः चम्बल को प्रदूषणमुक्त करने हेतु याचिका 189/2023 दायर की है। जिस पर अगली सुनवाई 22.10.2024 को होनी है। इस याचिका में नोटिस जारी होने के बावजूद चंबल की स्थिति बेहतर होने का बजाय बदतर हो रही है।

जाजू ने पीएफए पदाधिकारी ब्रजेश विजयवर्गीय एवं विट्ठल कुमार सनाढ्य केे साथ चम्बल नदी में गिर रहे अनेक गंदे पानी के नालों का अवलोकन करने के बाद बताया कि प्रदूषण नियंत्रण मण्डल एवं कोटा नगर निगम की घोर लापरवाही के चलते आज भी चम्बल में पेयजल सप्लाई वाले स्थानों पर गंदे नाले का पानी अनवरत जारी है। इस कारण शहर की जनता को दूषित एवं खराब गुणवत्ता का पानी पीना पड़ रहा है। इससे जलीय जीवों पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

नदी में जाने वाले नालों में अनेक जगह पॉलिथिन, डिस्पोजेबल व गंदगी अटी पड़ी है जो सीधे चम्बल नदी में जा रही है। जाजू ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों में न्यायालय के निर्देशों के बावजूद चम्बल में जाने वाले गंदे नालों की संख्या बढ़ी है। गोदावरी धाम, साजीदेहड़ा, शिवपुरा, सकतपुरा, दोस्तपुरा, रंगपुर, बालिता सहित अन्य अनेक स्थानों से गंदे पानी के नाले गिर रहे हैं।

प्रदूषित पानी से चंबल में अनेक बार मगरमच्छ सहित अन्य जलीय जीव मर चुके हैं। जाजू ने आगे बताया कि कोटा थर्मल पावर प्लांट से चम्बल नदी में गर्म पानी छोड़ा जाता है एवं अन्य औद्योगिक इकाईयां भी नदी को प्रदूषित करने में पीछे नहीं हैं। जो जलीय जीवों के लिए खतरनाक है।

अनेक घड़ियालों की मौजूदगी के चलते चम्बल को एकमात्र घड़ियाल सेंचुरी घोषित किया गया था, परंतु अफसोसजनक बात यह है कि अब एक भी घड़ियाल नहीं बचा है, जो वन विभाग, जिला प्रशासन, नगर विकास न्यास, जलदाय विभाग व प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की घोर लापरवाही को दर्शा रहा है।