नई दिल्ली। भारत में डिमांड से ज्यादा खाद्य तेलों का आयात होने के बावजूद उद्योग संगठन साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) सरकार पर आयात का दबाव बना रही है। ताकि कम आयात शुल्क पर सस्ता तेल आयात किया जा सके। सस्ते खाद्य तेलों के आयात के कारण ही भारत के किसानों को उनकी उपज का उचित दाम नहीं मिल पाता है। यह एसईए की गहरी साजिश है। भारतीय किसान संगठनों ने इसका विरोध करते हुए खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में और बढ़ोतरी की मांग की है।
एसईए के अनुसार कच्चे और रिफाइंड पाम तेल का आयात घटने के कारण सितंबर में कुल खाद्य तेल आयात में 29 प्रतिशत की गिरावट रही है। उद्योग संगठन साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) की ओर से शुक्रवार को जारी डेटा के अनुसार, पिछले महीने कुल खाद्य तेल आयात 10,64,499 टन रहा है जो पिछले वर्ष समान अवधि में 14,94,086 टन रहा था।
एसईए के डेटा के मुताबिक, सितंबर में गैर-खाद्य तेल आयात 22,990 टन रहा है जो पिछले वर्ष समान महीने में 57,940 टन था। पिछले महीने वनस्पति तेल आयात 10,87,489 टन रहा है। यह पिछले वर्ष की समान अवधि के 15,52,026 टन के मुकाबले 30 प्रतिशत कम है।
खाद्य तेल श्रेणी में पिछले महीने कच्चे पाम तेल का आयात घटकर 4,32,510 टन रहा है। यह पिछले साल समान महीने में 7,05,643 टन था। इसी प्रकार, रिफाइंड पाम तेल का आयात घटकर 84,279 टन रहा है जो सितंबर 2023 में 1,28,954 टन था। कच्चे सूरजमुखी तेल का आयात घटकर 1,52,803 टन रहा है जो पिछले वर्ष सितंबर में 3,00,732 टन था।
एसईए ने इस गिरावट का कारण जुलाई-अगस्त के दौरान अधिक आयात और कमजोर मांग को बताया है। इसके कारण बंदरगाहों पर स्टॉक बढ़ गया है। इसके अलावा, आयातक कीमतों में अस्थिरता के कारण भी सतर्कता बरत रहे हैं। अक्टूबर में समाप्त होने जा रहे चालू विपणन वर्ष के पहले 11 महीनों में कुल वनस्पति तेल आयात छह प्रतिशत घटकर 1,47,75,000 टन रहा है जो पिछले वर्ष समान अवधि में 1,56,73,102 टन था।
सितंबर में बढ़ा था आयात शुल्क
केंद्र सरकार ने पिछले महीने कच्चे पाम तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल के आयात पर शुल्क को बढ़ाकर क्रमश: 20 और 32.5 प्रतिशत कर दिया था। कच्चे पाम तेल, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क को शून्य से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया गया था। इसी तरह, रिफाइंड पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर सीमा शुल्क को 12.5 फीसदी से बढ़ाकर 32.5 प्रतिशत किया गया था। इस इजाफे के बाद प्रभावी आयात शुल्क क्रमश: 27.5 फीसदी और 35.75 फीसदी हो जाएगा।
इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने की वजह से फेस्टिव सीजन की शुरुआत से पहले खाद्य तेलों की कीमतों में बड़ा उछाल भी आया था। इस पर सरकार ने नाराजगी भी जताई थी। उसने तेल कंपनियों को निर्देश दिया था कि जब तक उनके पास पुराना स्टॉक रहे, वे तेलों का दाम न बढ़ाएं।