ग्रामीण संस्कृति को देखना चाहते हैं पर्यटक, भारत में रुरल टूरिज्म पर हो रहा कार्य

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डॉ. अनुकृति शर्मा ने लाओस में आयोजित कॉन्फ्रेंस में रखे रुरल टूरिज्म इन इण्डिया पर विचार

कोटा। Rural Tourism In India: कोटा विश्वविद्यालय में कौशल एवं विकास केंद्र की निदेशक तथा वाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनुकृति शर्मा ने बुधवार को लाओस में रुरल टूरिज्म इन इण्डिया पर आयोजित दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में विचार रखे। लाओस में लाओ नेशनल प्रोडक्टिविटी आर्गेनाइजेशन की ओर से आयोजित यह कॉन्फ्रेंस एशियाई प्रोडक्टिविटी आर्गेनाइजेशन (एपीओ) की ओर से प्रायोजित की गई है।

कॉन्फ्रेंस में लाओस के मिनिस्ट्री ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स के मंत्री एचई मलाइथोंग कोमासिस्ट तथा एशियन प्रोडक्टिविटी ऑर्गेनाइजेशन एपीओ सेक्रेट्रीएट के प्रोग्राम ऑफिसर नोबा मियामा मौजूद रहे। डॉ. अनुकृति शर्मा ने चर्चा करते हुए कहा कि पहाड़, नदियां, झरने, बर्फ और प्राकृतिक सुंदरता से भरे स्थान पर्यटकों को खूब लुभाते हैं। लेकिन अब लोगों को खेत-खलिहान और बाग बगीचे वाले ग्रामीण पर्यटन भी भाने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि अब भारत में एडवेंचर टूरिज्म, सस्टेनेबल टूरिज्म, ईको टूरिज्म के साथ रूरल टूरिज्म पर भी काम हो रहा है। ग्रामीण लोगों को जानने, वहां की सभ्यता, जीवन शैली को जानने के लिए लोग अब ग्रामीण इलाकों का भी रुख कर रहे हैं। यही वजह है कि अब भारत में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि अभी तक हम केवल हेरिटेज पर्यटन की बात करते थे। जिसमें पुराने इतिहास को खंगालते थे, लेकिन अब पर्यटकों की रुचि अन्य क्षेत्रों के प्रति जागने लगी है। भारत गांवों में बसता है, इसलिए पर्यटक ग्रामीण परिवेश समझना चाहते हैं। गांव देखना चाहते हैं, वहां भोजन का स्वाद चखना चाहते हैं। संस्कृति को समझना चाहते हैं।

इस दौरान डॉ. शर्मा ने इंटरनेशनल सर्विस के डायरेक्टर डॉ. केडी भारद्वाज और जनरल सेक्रेटरी डॉ. इंदिरा का आभार प्रकट किया। कॉन्फ्रेंस में इंडोनेशिया, मलेशिया, मंगोलिया, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, कंबोडिया, फिजी, फिलीपींस, चीन, श्रीलंका, थाईलैंड, तुर्की, वियतनाम, घाना, जापान समेत विभिन्न देशों के 123 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।