आपकी सोच ही आपका निर्माण करती है, दूसरों का नहीं: आदित्य सागर मुनिराज

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कोटा। चंद्र प्रभु दिगंबर जैन समाज समिति की ओर से श्रमण श्रुतसंवेगी आदित्य सागर मुनिराज संघ का भव्य चातुर्मास जैन मंदिर रिद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में मनाया गया। अध्यात्म विशुद्ध ज्ञान पावन वर्षायोग में शुक्रवार को आदित्य सागर मुनिराज ने अपने नीति प्रवचन में जीवन में सफलता, आत्मोन्नति और आध्यात्मिक विकास के लिए कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्धांत और मार्गदर्शन प्रस्तुत किए।

उन्होंने कहा, कि आपकी सोच आपका निर्माण करती है, दूसरों की नहीं। इस कथन के माध्यम से उन्होंने व्यक्तिगत विचारों और दृष्टिकोण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने श्रावकों को समझाया कि हमारी सोच ही हमारे जीवन की दिशा और गुणवत्ता निर्धारित करती है।

उन्होंने प्रवचन में कहा, समझदार व्यक्ति जीत से जवाब देता है, जीतकर नहीं। इस वाक्य के माध्यम से उन्होंने विनम्रता और सद्भावना के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि सच्ची जीत केवल जीतने में नहीं, बल्कि अपने व्यवहार और प्रतिक्रियाओं में भी होती है। उन्होंने लक्ष्य प्राप्ति पर ध्यान केन्द्रित करते हुए कुछ व्यावहारिक सुझाव भी दिए। श्रोताओं को उन्होंने कहा कि नकारात्मक बातों को इग्नोर करें, सकारात्मक को ही सुनें।

ऊंचाई पर जाना है तो दूसरों के शब्दों पर उलझना छोड़ें। कौन क्या कर रहा है इससे अधिक अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें। इन सुझावों के माध्यम से उन्होंने सकारात्मक दृष्टिकोण, आत्म-केंद्रित विकास और लक्ष्य-उन्मुख जीवनशैली के महत्व पर बल दिया।

इस अवसर पर चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा, रिद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, पारस कासलीवाल सहित कई शहरों के श्रावक उपस्थित रहे।