बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य घटाकर 700 डॉलर प्रति टन करने की मांग

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नई दिल्ली। चावल निर्यातकों ने प्रधानमंत्री को एक पत्र उनसे उनसे बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) घटाने के मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।

अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ (ऐरिया) ने अपने पत्र में कहा है कि वर्तमान समय में चावल का मेप 950 डॉलर प्रति टन निर्धारित है जबकि सरकार को इसे घटाकर 700 डॉलर प्रति टन नियत करने पर विचार करना चाहिए क्योंकि भारतीय बासमती चावल इस ऊंचे मेप के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गैर प्रतिस्पर्धी हो गया है।

पाकिस्तानी बासमती चावल का निर्यात ऑफर मूल्य भारत की तुलना में 50-100 डॉलर प्रति टन नीचे चल रहा है। भारतीय निर्यातक 950 डॉलर प्रति टन से कम दाम पर अपने बासमती चावल का अनुबंध नहीं कर सकते हैं।

इससे पाकिस्तान को वैश्विक निर्यात बाजार में आगे बढ़ने का भरपूर अवसर मिल रहा है। पाकिस्तान के निर्यातक 800 डॉलर प्रति टन की दर से बासमती चावल बेच रहा है।पत्र में कहा गया है कि भारत को अपनी प्रतिस्पर्धी क्षमता तभी दोबारा प्राप्त हो सकती है जबकि भारतीय बासमती चावल का निर्यात मूल्य 700 डॉलर प्रति टन के आसपास रहे।

तभी भारतीय निर्यातक अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 750-800 डॉलर प्रति टन की दर में अपना उत्पाद बेचने में सक्षम हो सकते हैं। समझा जाता है कि भारत सरकार बासमती चावल का मेप 950 डॉलर से घटाकर 850 डॉलर प्रति टन निर्धारित करने पर विचार कर रही है।

लेकिन एसोसिएशन का कहना है कि न्यूनतम निर्यात मूल्य 850 डॉलर प्रति टन से नीचे होना जरुरी है। जब यह मूल्य घटकर 700 डॉलर प्रति टन के करीब आएगा तभी भारत को बासमती चावल के निर्यात बाजार पर अपना दबदबा बरकरार रखने में सफलता मिलेगी।

एसोसिएशन ने सरकार को आश्वासन किया है कि बासमती चावल के नाम पर गैर बासमती चावल का निर्यात नहीं किया जाएगा क्योंकि गैर बासमती चावल का वैश्विक बाजार भाव 600 डॉलर प्रति टन से नीचे चल रहा है। खाड़ी क्षेत्र में चावल का भारी निर्यात होता है।