मरने के बाद हमारी ऑंखें किसी और की जिंदगी रोशन कर सकती हैं: डॉ. पांडेय

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39वें राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा की शुरुआत

कोटा। आई बैंक सोसाइटी ऑफ राजस्थान के कोटा चैप्टर इकाई की ओर से बुधवार को राजकीय कला महाविद्यालय, कोटा में नेत्रदान पखवाड़े का उद्घाटन एवम् नेत्रदान जागरूकता संगोष्ठी आयोजित की गई।

इस अवसर पर डॉक्टर के. के. कंजोलिया ने बताया कि संसार में हर 4 में से 1 भारतीय व्यक्ति, अंधता से पीड़ित है। नेत्रदान मरने के उपरांत 6 से 8 घंटे में ही लिया जाता है, उसमें भी केवल काॅर्निया ही लिया जाता है, जिसमें 15 मिनट का समय लगता है।

वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉक्टर सुरेश पाण्डेय ने बताया कि आँखें हमारे जीवन में कितनी अहम भूमिका निभाती है एवं आँखों के अभाव में जीवन कितना मुश्किल हो सकता है इसकी कल्पना कुछ मिनट हम अपनी आँखें बंद करके कर सकते हैं। हमारी आँखें जीवनभर हमें रोशनी देती है। वरन हमारे मरने के बाद वह किसी और की जिंदगी से भी अँधेरा हटा सकती हैं। लेकिन जब बात नेत्रदान की होती है तो काफी लोग इस अंधविश्वास में पीछे हट जाते हैं, कि कहीं अगले जन्म में वह नेत्रहीन पैदा नहीं हो जाए।

उन्होंने बताया कि समाज में प्रचलित इस अंधविश्वास की वजह से काॅर्नियल अँधता से पीड़ित दुनियां के लाखों लोगों को जिंदगी भर अँधेरे में ही रहना पड़ता है। डाॅ. पाण्डेय ने बताया कि विश्व में प्रत्येक पाँच सेकण्ड में एक वयस्क व्यक्ति एवं प्रति मिनट एक बच्चा अँधता के अभिशाप से ग्रस्त होता है। विश्वभर में चार करोड़ तीस लाख व्यक्ति अँधता के अभिशाप से ग्रसित हैं। भारत में लगभग एक करोड़ 80 लाख व्यक्ति अँधेपन से ग्रस्त हैं।

उन्होंने बताया कि देश में अँधता दृष्टिबाधिता के पांच प्रमुख कारण मोतियाबिन्द, काला पानी (ग्लूकोमा), दृष्टि दोष, रेटिना (पर्दे) की बीमारियां एवं आँख की पारदर्शी पुतली (काॅर्नियां) में होने वाले रोग हैं। भारत में कुल अँधता का लगभग 1 प्रतिशत काॅर्नियल ब्लाइंडनेस के कारण है। हर वर्ष लगभग 25-30 हजार रोगी काॅर्निया खराब होने के कारण अँधता से ग्रसित हो रहे हैं।

इन सबमें से लगभग 50 प्रतिशत रोगी काॅर्नियल ट्रांसप्लांट (पारदर्शी पुतली के प्रत्यारोपण) द्वारा रोशनी वापस प्राप्त कर सकते हैं। हर वर्ष कम से कम 2.50 लाख काॅर्निया की आवश्यकता है। परन्तु प्रतिवर्ष 50 हजार के लगभग ही नेत्रदान हो पाते हैं। प्रधानाचार्य डॉ. रोशन भारती ने बताया कि संगोष्ठी में महाविद्यालय के शिक्षकगण एवं लगभग 500 विद्यार्थी भी शामिल थे।