नई दिल्ली। Pulses Sowing: पिछले साल के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान दलहन फसलों और खासकर अरहर (तुवर) एवं मूंग के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है और मौसम तथा मानसून की हालत भी काफी हद तक अनुकूल है जिससे फसलों का बेहतर ढंग से विकास हो रहा है।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं गुजरात जैसे शीर्ष दलहन उत्पादक राज्यों में इस बार मानसून की अच्छी बारिश हुई है और ऊंचे बाजार भाव के कारण किसानों को पिछली फसल से शानदार आमदनी भी प्राप्त हुई जिससे दलहनों की खेती के प्रति उसका उत्साह एवं आकर्षण बढ़ गया।
लेकिन हैरत की बात यह है कि उड़द का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष से करीब 1.20 लाख हेक्टेयर पीछे चल रहा है जबकि इसका मंडी भाव सरकारी समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा है और इससे किसानों को अच्छी आमदनी भी हासिल हो रही है। सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- मध्य प्रदेश में उड़द के बिजाई क्षेत्र और मौसम पर सबका ध्यान केन्द्रित है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान अरहर का उत्पादन क्षेत्र 40.75 लाख हेक्टेयर से उछलकर 45.80 लाख हेक्टेयर तथा मूंग का बिजाई क्षेत्र 30.25 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 33.25 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया लेकिन उड़द का क्षेत्रफल 29.50 लाख हेक्टेयर से घटकर 28.30 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।
इसी तरह मोठ एवं कुलथी का रकबा भी गत वर्ष से कुछ पीछे चल रहा है जबकि अन्य खरीफ कालीन दलहनों का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के लगभग बराबर ही है। अगस्त के शेष दिनों तथा सितम्बर की पूरी अवधि में मौसम एवं मानसून की स्थिति का दलहन फसलों पर काफी प्रभाव पड़ेगा।
इसके तहत खासकर उड़द और मूंग की फसल पर ध्यान रखना आवश्यक है क्योंकि ये फसलें मौसम के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती हैं। इन दोनों दलहनों की अगैती नई फसल की छिटपुट कटाई-तैयारी अगले महीने से शुरू हो जाएगी। अगर प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में दक्षिण-पश्चिम मानसून की मूसलाधार वर्षा जारी रही तो दलहन फसलों को गंभीर क्षति पहुंच सकती है। तुवर की फसल काफी लेट से आती है।