कोटा। धनिया की कीमतों में पिछले कुछ समय से नरमी का माहौल देखा जा रहा है जिसे देखते हुए उत्पादकों ने मंडियों में माल उतारने की गति धीमी कर दी है। जीरे की खेती को प्रमुखता दिये जाने के कारण इस बार गुजरात में धनिया का क्षेत्रफल काफी घट गया था लेकिन राजस्थान में क्षेत्रफल गत वर्ष के लगभग बराबर एवं मध्य प्रदेश में कुछ ऊंचा रहा।
प्रमुख उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण मंडियों में फिलहाल धनिया की सीमित आवक हो रही है लेकिन इसके बावजूद मांग एवं उठाव कमजोर रहने से इसका दाम में नरमी या स्थिरता बनी हुई है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार आगामी समय में धनिया में त्यौहारी मांग निकलने की संभावना है, जिससे बाजार को कुछ सहारा मिल सकता है। इसके साथ-साथ इसमें निर्यात मांग की संभावना है, जिससे बाजार को कुछ सहारा मिल सकता है। इसके साथ-सतह इसमें निर्यात मांग भी बढ़ने की उम्मीद है।
नीचे दाम पर धनिया की खरीद में विदेशी आयातकों की दिलचस्पी बढ़ने की आशा है। देश में अभी धनिया का अच्छा स्टॉक मौजूद है इसलिए घरेलू तथा निर्यात मांग को पूरा करने में समस्या नहीं आएगी।
अक्टूबर-नवम्बर में इसकी बिजाई भी आरंभ होने वाली है। यदि बाजार में तेजी नहीं आई तो इसकी खेती में किसानों का उत्साह एवं आकर्षण घट सकता है। राजस्थान की रामगंज मंडी में औसतन 3000 से 3500 बोरी तथा बारां मंडी में करीब 1000 बोरी धनिया की दैनिक आवक हो रही है जबकि कारोबार कमजोर होने से कीमतों में तेजी का माहौल नहीं बन रहा है। आगे कुछ तेजी आने की उम्मीद की जा रही है।
मसाला बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के शुरुआती दो महीनों में यानी अप्रैल-मई 2024 के दौरान देश से 11,547 टन धनिया का निर्यात हुआ जिससे 118.93 करोड़ रुपए की आमदनी हुई।
इसके मुकाबले अप्रैल-मई 2023 के दौरान 36,933 टन धनिया का शानदार निर्यात हुआ था और उससे 290.45 करोड़ रुपए मूल्य की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई थी। समीक्षकों के मुताबिक धनिया का भाव इसकी घरेलू एवं निर्यात मांग पर निर्भर करेगा। दिसावरों एवं निर्यातकों की गतिविधियां बढ़ने पर बार में तेजी-मजबूती का अमोल बनना संभव है।