नई दिल्ली। भारत में चना और मसूर की भांति मटर की खेती भी रबी सीजन में होती है। इस वर्ष बिजाई क्षेत्र में सुधार आने तथा उपज दर कुछ बेहतर रहने से मटर का कुल उत्पादन 9.50 लाख टन के करीब पहुंचा जिसमें पीली मटर की भगीदारी 8 लाख टन के करीब रही।
मटर की फसल पहले ही फरवरी-मार्च में कट चुकी है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश इसके दो प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। इसके अलावा कुछ अन्य प्रांतों में भी मटर का आयात होता है। घरेलू प्रभाग में दलहनों की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने और खासकर चना का एक बेहतर विकल्प मुहैया करवाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने दिसम्बर 2023 में पीली मटर के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया जबकि पहले इस पर 50 प्रतिशत का बुनियादी आयात शुल्क लगा हुआ था।
सीमा शुल्क एवं शर्तों-नियंत्रणों से मुक्त होने के बाद देश में पीली मटर का आयात तेजी से बढ़ने लगा। यह आयात मुख्यत: कनाडा एवं रूस से हो रहा है जबकि कुछ अन्य देशों से भी सीमित मात्रा में इसे मंगाया जा रहा है।
मोटे अनुमान के अनुसार दिसम्बर 2023 से मई 2024 के दौरान देश में लगभग 15-16 लाख टन मटर का आयात हुआ। इसका 50 प्रतिशत भाग अभी तक खपत में जा चुका है।विदेशों से मटर के आयात की गति हाल के सप्ताहों में कुछ धीमी पड़ गई है क्योंकि प्रमुख निर्यातक देशों में आपूर्ति का ऑफ सीजन होने से निर्यात योग्य स्टॉक काफी घट गया है।अगले महीने से विभिन्न निर्यातक देशों में मटर के नए माल की आवक जोर पकड़ने की संभावना है और तब भारत में इसके आयात की गति तेज हो सकती है।
देश में फिलहाल 31 अक्टूबर 2024 तक पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी गई है। भारत में वर्तमान समय में लगभग 8.50 लाख टन आयातित पीली मटर का स्टॉक मौजूद है जबकि स्वदेशी उत्पादन का बकाया स्टॉक इससे अलग है। इससे क़ीमतों में काफी हद तक स्थिरता बनी हुई है। इस विशाल स्टॉक के साथ आगामी महीनों में पीली मटर का भारी-भरकम आयात हो सकता है। अक्टूबर से इसकी बिजाई भी शुरू हो जाएगी।