नई दिल्ली। केन्द्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से कुल चुनिंदा दलहनों एवं तिलहनों की 100 प्रतिशत खरीद करने पर जोर दे सकती है ताकि इसका उत्पादन बढ़ाने में सहायता मिल सके।
केन्द्रीय कृषि मंत्री भी लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अरहर (तुवर), उड़द एवं मसूर की खरीद पूरी तरह से होनी चाहिए। समझा जाता है कि सरकार किसानों को हर हाल में एमएसपी देने की इच्छुक है। इसके लिए दो विकल्प है। पहला विकल्प तो यह है कि सरकार सीधे अपनी एजेंसियों के माध्यम से किसानों से दलहन-तिलहन के सम्पूर्ण विपणन योग्य स्टॉक की खरीद करे और उसे न्यूतनम समर्थन मूल्य का भुगतान करे।
दूसरा तरीका यह है कि यदि किसान खुले बाजार में एमएसपी से नीचे दाम पर अपने उत्पाद की बिक्री करता है तो उसे समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए भावान्तर भुगतान योजना को सक्रिय करे।
जानकार सूत्रों के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 के केन्द्रीय आम बजट में सरकार की फ्लैगशिप योजना- प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) को संशोधित- परिष्कृत किए जाने की संभावना है ताकि किसानों को कुछ खास दलहनों एवं तिलहनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य अवश्य प्राप्त हो।
हालांकि एमएसपी पर इसकी खरीद की योजना पहले से लागू है मगर इसके लिए प्रत्येक उत्पादक राज्य में एक निश्चित मात्रा का निर्धारण होता था। केन्द्र सरकार ने नियम बनाया था कि प्रत्येक राज्य में दलहन-तिलहन के कुछ उत्पादन के अधिकतम 25 प्रतिशत भाग की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाएगी।
अक्सर खरीद की मात्रा इस सीमा से कम ही जबकि किसानों शेष भाग एमएसपी से कम दाम पर खुले बाजार में बेचने के लिए विवश होना पड़ता था। अरहर एवं उड़द के अत्यन्त ऊंचे भाव तथा आयात पर बढ़ती निर्भरता को देखते हुए सरकार ने अब न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों का सारा स्टॉक (जिसे बेचना चाहते हैं। खरीदने का प्लान बनाया है।
इससे उत्पादकों को राहत मिलेगी और वे उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित होंगे। सरकार ने वर्ष 2027 तक दलहनों के उत्पादन में देश को आत्मनिर्भता बनाने का लक्ष्य रखा है और इसे हासिल करने का प्रयास आरंभ कर दिया है।