मथुराधीश मंदिर पर हुआ रथ यात्रा मनोरथ, बदली ग्रीष्मकालीन सेवा प्रणाली

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रथ पर सवार ठाकुर जी को निहारते रहे भक्त, लगे जयकारे

कोटा। शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्री बड़े मथुराधीश मंदिर पाटनपोल पर रविवार को रथयात्रा मनोरथ हुआ। महोत्सव के दौरान मथुराधीश प्रभु रथ पर सवार होकर निज तिबारी में भक्तों को दर्शन देने पधारे तो भक्तों ने जयकारों से आसमान गूंजा दिया। इस दौरान रथ को रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया था। रथ पर पिछवाई और चंदरवा लगे थे। प्रभु का आकर्षक श्रृंगार किया गया था।

मनोरथ के दौरान सुमधुर संगीत के साथ कीर्तन के पद गूंज रहे थे। इस अवसर पर “रथ में बैठे प्रभु अधिक विराजत, जगत करत सब सेवा.. नर नारी आनंद भई अति प्रमुदित मंगल गाए.. रत्न जतिरथ नीको लागत चंचल आव लगाए..” सरीखे विभिन्न पदों से प्रभु का गुणगान किया जा रहा था।

बदली सेवा प्रणाली
गोस्वामी मिलन कुमार बावा ने बताया कि रथ यात्रा के बाद से प्रभु की ग्रीष्मकालीन सेवा प्रणाली में भी बदलाव कर दिया गया है। रथ यात्रा महोत्सव के बाद प्रभु के सामने जल का छिड़काव, फव्वारा, खस, कुंजा और चंदन के परदे हटा दिए जाते हैं। सिंहासन के सामने जल का प्रयोग भी बंद कर दिया जाता है।

उन्होंने बताया कि प्रभु के राजभोग में दही भात, पना समेत अन्य शीतल सामग्री बन्द हो जाएगी। प्रभु को भोग में आम, जामुन, अंकुरी, आमरस और आम व खोपरा से बनी अन्य सामग्री अर्पित की जाएगी। वर्षा काल के समय प्रभु के कीर्तनों में राग मल्हार की आलापचारी प्रारंभ होगी।