मसूर का भारत में शानदार उत्पादन होने के बावजूद रिकॉर्ड आयात क्यों?

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नई दिल्ली। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने तीसरे अग्रिम अनुमान के तहत 2023-24 सीजन के दौरान भारत में मसूर का उत्पादन बढ़कर 17.54 लाख टन के उच्च स्तर पर पहुंच जाने की संभावना व्यक्त की है

जो 2022-23 सीजन के उत्पादन से 12.81 प्रतिशत अधिक है लेकिन उद्योग-व्यापार क्षेत्र इस आंकड़े से सहमत नहीं है। उसका कहां है कि मसूर का वास्तविक उत्पादन 12-13 लाख टन से अधिक नहीं हुआ है। फसल की कटाई पहले ही पूरी हो चुकी है।

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 की पूरी अवधि (अप्रैल-मार्च) क दौरान भारत में मसूर का आयात तेजी से उछलकर 16.76 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया जो इससे पूर्व 2015-16 में हुए रिकॉर्ड आयात 12.60 लाख टन से भी काफी अधिक है। चालू वित्त वर्ष के आरंभिक दो महीनों में यानी अप्रैल-मई 2024 के दौरान देश में 1.01 लाख टन मसूर का आयात हुआ।

हालांकि किसानों से न्यूतनम समर्थन मूल्य पर इस बार मसूर की कितनी खरीद की गई इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा सामने नहीं आया है लेकिन उद्योग- व्यापार क्षेत्र का मानना है कि अब तक 1.50-2.00 लाख टन की खरीद हो चुकी है।

उल्लेखनीय है कि नेफेड तथा पीपीएफ जैसी सरकारी एजेंसियों के पास लगभग 6 लाख टन लाल मसूर का स्टॉक मौजूद है जिसकी खरीद 2023 तथा 2022 के सीजन में भी की गई थी।