राजस्थान में OPS सरकार की गले की हड्डी बनी, कर्मचारी संगठनों का दबाव

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जयपुर। Old Pension Scheme: ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) नई बीजेपी सरकार की गले की हड्डी बन गई। नई भजनलाल सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम को बदलकर नया आंध्र मॉडल लागू तो करना चाहती है लेकिन कर्मचारियों के नाराज होने का डर भी है। इसलिए विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की तरफ से ओल्ड पेंशन स्कीम लेकर पूछे गए सवालों का बीते 6 महीने से सरकार ने विधानसभा को अब तक कोई जवाब नहीं भेजा।

राजस्थान अगला बजट सत्र जल्दी ही शुरू होने वाला है। विपक्ष कई मुद्दों के साथ सरकार को घेरने के लिए तैयार है। इनमें एक मुद्दा कर्मचारियों की पेंशन का है। पिछली गहलोत सरकार में लागू की गई ओल्ड पेंशन योजना को नई भजनलाल सरकार नए सिरे से लागू करने पर विचार कर रही है।

गहलोत मॉडल को हटाकर उसकी जगह आंध्रप्रदेश के पेंशन मॉडल लागू करने की कार्रवाई चल रही है। हालांकि सरकार की तरफ से इस मामले में अब तक कोई वक्तव्य नहीं दिया गया है लेकिन ओल्ड पेंशन स्कीम जारी रखने को लेकर विधानसभा के पिछले सत्र में विपक्ष के विधायकों की तरफ से पिछले सत्र में जितने भी सवाल वित्त विभाग से पूछे गए उनके जवाब अब तक विधानसभा को नहीं भेजे गए हैं। जबकि पिछले दिनों विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने विधानसभा के लंबित जवाबों को लेकर ब्यूरोक्रेसी को फटकार भी लगाई थी।

इधर कर्मचारी संगठनों ने प्री-बजट मीटिंग में साफ कर दिया था कि उन्हें ओल्ड पेंशन स्कीम हर हाल में चाहिए। लोकसभा चुनावों में कर्मचारी वर्ग की नाराजगी का असर पोस्टल बैलेट में नजर आ चुका है। खुद पीएम मोदी भी शपथ ग्रहण के बाद कर्मचारी वर्ग की तारीफ कर चुके हैं। इसलिए सरकार के स्तर पर कर्मचारियों की पेंशन मॉडल में बदलाव का यह निर्णय आसान नहीं होगा।

सवाल पूछने वाले विधायकों में कांग्रेस अध्यक्ष और लक्ष्मणगढ़ विधायक गोविंदसिंह डोटासरा, देवली-उनियारा विधायक हरीश मीणा, टोडाभीम विधायक घनश्याम, शाहपुरा विधायक मनीष यादव, डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा, बीकानेर पश्चिम जेठानंद व्यास, केशोराय पाटन से सीएल प्रेमी।