राजकोट। शानदार बिजाई के कारण चालू वर्ष के दौरान जीरा का घरेलू उत्पादन पिछले साल से बेहतर होने के आसार हैं। यद्यपि गुजरात के सौराष्ट्र संभाग में प्रतिकूल मौसम के कारण जीरे की फसल को कुछ नुकसान होने की आशंका व्यक्त की जा रही है लेकिन इसके बावजूद कुल उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है।
गुजरात में जीरा की नई फसल की कटाई-तैयारी की गति तेज होती जा रही है जिससे मंडियों में इसकी आपूर्ति भी बढ़ने लगी है। बढ़ती आवक को देखते हुए कीमतों में भारी तेजी आने की संभावना क्षीण पड़ती जा रही है। राजस्थान में नया माल आने में अभी कुछ देर है।
गुजरात की ऊंझा मंडी में नए जीरे की औसत दैनिक आवक बढ़कर 1000/1100 बोरी पर पहुंच गई है। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार कारोबार सामान्य से कम हो रहा है क्योंकि खरीदार इसकी भारी आवक शुरू होने तथा कीमत कुछ और नरम पड़ने का इंतजार कर रहे हैं इसलिए भारी-भरकम स्टॉक बनाने के बजाए केवल तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए सीमित मात्रा में इसकी खरीद कर रहे हैं।
समझा जाता है कि निर्यातकों की जोरदार लिवाली आरंभ होने पर जीरा का भाव कुछ मजबूत हो सकता है। वैसे गुजरात में प्रतिकूल मौसम से फसल प्रभावित होने की सूचना आने पर बाजार कुछ सुधरा था मगर जल्दी ही स्थिति सामान्य हो गई।
गुजरात में जीरा का उत्पादन क्षेत्र पिछले सीजन के 2.76 लाख हेक्टेयर से उछलकर चालू सीजन में 5.61 लाख हेक्टेयर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया। राजस्थान में भी जीरा के बिजाई क्षेत्र में इजाफा हुआ है।
ऊंझा मंडी में जीरा की कुल दैनिक आवक तीन हजार बोरी तक पहुंच गई थी जिसमें 1000/1100 बोरी नया माल भी शामिल था। वहां इसका भाव 6200/6300 रुपए प्रति 20 किलो के आसपास चल रहा है। कुछ दिन पूर्व इसमें 150 -200 रुपए की तेजी आई थी।
अगले महीने जब गुजरात के साथ-साथ राजस्थान की मंडियों में भी जीरा के नए माल की जोरदार आवक आरंभ होगी तब स्टॉकिस्टों एवं दिसावरी व्यापारियों के अलावा निर्यातकों की सक्रियता बढ़ सकती है।
चीन में जीरा की मांग बढ़ने लगी है जबकि बांग्ला देश सहित कई अन्य मुस्लिम बहुल देशों में भी इसका निर्यात बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं क्योंकि एक तो भारतीय जीरे का भाव घटकर आकर्षण स्तर पर आ गया है और दूसरे, तुर्की तथा सीरिया में इसका निर्यात योग्य स्टॉक काफी घट गया है। ईरान तथा अफगानिस्तान भी निर्यात बाजार में सक्रिय नहीं है।