अलीराजपुर । मध्य प्रदेश में गेहूं के उत्पादकों को सरकार के उस निर्णय से मायूसी हो रही है जिसमें किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की खरीद करने की घोषणा की गई है।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने किसानों से 2700 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदने का वादा किया था जिससे मध्य प्रदेश के साथ-साथ राजस्थान के किसानों ने भी भाजपा को सत्ता दिलवाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया मगर अब राज्य सरकार अपना वादा निभाने से हिचक रही है।
ऊंचे भाव पर खरीद होने की संभावना को देखते हुए इन दोनों राज्यों में किसानों ने गेहूं का रकबा बढ़ाने का प्रयास किया जिससे राष्ट्रीय स्तर पर रबी सीजन के इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण खाद्यान्न का बिजाई क्षेत्र उछलकर 341 लाख हेक्टेयर से भी आगे निकल गया।
आमतौर पर फसल की हालत संतोषजनक बताई जा रही है लेकिन किसानों को उम्मीद के अनुरूप अपने उत्पाद पर आकर्षक वापसी हासिल नहीं हो पाएगी। केन्द्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2022-23 सीजन के 2125 रुपए प्रति क्विंटल से 150 रुपए बढ़ाकर 2023-24 सीजन के लिए 2275 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया है और राज्य सरकार ने इसी समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदने की घोषणा की है।
विपक्षी दल इसके लिए राज्य सरकार की आलोचना कर रहे हैं। उसका कहना है कि सिर्फ चुनाव जितने के लिए किसानों से झूठे वादे किए गए थे और सरकार बनते ही वादे को भुला दिया गया। 2700 रुपए प्रति क्विंटल के मूल्य स्तर पर गेहूं खरीदने की बात तो बहुत दूर है, राज्य सरकार ने इस पर समर्थन मूल्य से आगे कोई अतिरिक्त बोनस देने की घोषण भी नहीं की है।
इसे किसान स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। राजस्थान में किसानों को कुछ बोनस मिलने की उम्मीद है जहां सरकार ने 10 मार्च से ही गेहूं की खरीद शुरू करने का निर्णय लिया है।