नई दिल्ली। रिकॉर्ड बिजाई एवं मौसम की अनुकूल स्थिति को देखते हुए चालू रबी सीजन के दौरान देश में एक बार फिर सरसों का शानदार उत्पादन होने का अनुमान है। विदेशी खाद्य तेलों का भारी आयात जारी रहने से सरसों तेल की कीमतों पर दबाव बना हुआ है जिससे सरसों का थोक मंडी भाव भी 27 जनवरी- 01 फरवरी वाले सप्ताह के दौरान कमजोर पड़ गया।
42% कंडीशन सरसों के दाम: 42 प्रतिशत कंडीशन वाली सरसों का दाम दिल्ली में 100 रुपए एवं जयपुर में 75 रुपए गिरकर क्रमश: 5300 रुपए प्रति क्विंटल तथा 5525/5550 रुपए प्रति क्विंटल रह गया। उत्तर प्रदेश की हापुड़ मंडी एवं आगरा मंडी में भी सरसों के दाम में क्रमश: 50 रुपए तथा 75 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।
गुजरात: गुजरात के साथ-साथ हरियाणा की मंडियों में तो यह 304 रुपए लुढ़ककर 5031 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया। हिसार में भी सरसों का भाव 100 रुपए नरम रहा।
मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश की मुरैना तथा ग्वालियर मंडी में सरसों का दाम 100-100 रुपए प्रति क्विंटल तथा पोरसा मंडी में 25 रुपए प्रति क्विंटल नरम रहा।
राजस्थान: देश के सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- राजस्थान में भी सरसों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। कोटा मंडी में नए माल की आवक शुरू होने के साथ ही सरसों का दाम 600 रुपए लुढ़ककर 4000/4500 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया। इससे उत्पादकों की चिंता काफी बढ़ गई है।
हालांकि केन्द्रीय एजेंसी- नैफेड ने इस वर्ष सरसों की खरीद बढ़ाने के संकेत दिए हैं लेकिन लगभग सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण मंडियों में इस तिलहन का भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आ गया है जिसे देखते हुए सरकार को भारी मशक्क्त करनी पड़ सकती है। दरअसल जिस समय देश में संसदीय आम चुनाव की गहमागहमी होगी उस समय मंडियों में सरसों की जोरदार आवक हो रही होगी। मालूम हो कि मार्च से मई के दौरान देश में सरसों की सर्वाधिक आवक होती है।
सरसों तेल: सरसों का भाव नरम रहने से सरसों तेल के दाम में भी कमी आ गई। उत्तर प्रदेश के हापुड़ में सरसों तेल का दाम 400 रुपए लुढ़ककर 990/1000 रुपए प्रति 10 किलो पर आ गया। आगरा में भी यह 30 रुपए टूट गया जबकि अन्य स्थानों पर इसमें 10-20 रुपए की नरमी देखी गई।