नई दिल्ली। हाल के दिनों में महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश एवं राजस्थान के कुछ भागों में भयंकर बारिश होने तथा तेज हवा चलने से दलहन तथा प्याज की फसल को नुकसान होने की संभावना है।
इससे अगले तीन महीनों तक सामान्य महंगाई दर 6 प्रतिशत के आसपास तथा खाद्य महंगाई दर इससे काफी ऊंचा रहने का अनुमान है। एक अर्थशास्त्री के मुताबिक अगले तीन माह तक महंगाई दर ऊंची रह सकती है।
रबी फसलों की बिजाई पीछे चल रही है जबकि बांधों- जलाशयों में पानी का भंडार कम होने से सिंचाई पर असर पड़ सकता है। अक्टूबर में महंगाई दर घटकर 4.9 प्रतिशत रह गई जबकि खाद्य महंगाई दर 6.6 प्रतिशत पर स्थिर रही।
खाद्य उत्पादों की कीमतों में तेजी- मजबूती का माहौल बरकरार रहने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक 23 से 29 नवम्बर 2023 के दौरान देश के उपरोक्त राज्यों यानी मध्यवर्ती क्षेत्र में दीर्घ कालीन औसत के मुकाबले 682 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई।
तेज हवा एवं गैर मौसम बारिश के साथ-साथ कहीं-कहीं ओलावृष्टि भी होने से तुवर एवं प्याज की फसल को काफी नुकसान होने की आशंका है। तुवर के बिजाई क्षेत्र में इस बार गिरावट आई और खरीफ सीजन में इसका रकबा गत वर्ष के 46.13 लाख हेक्टेयर से घटकर 43.87 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया था।
इसके अलावा अगस्त माह के दौरान महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश एवं गुजरात जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में भयंकर सूखा पड़ने से भी तुवर की फसल को काफी नुकसान हुआ।
उल्लेखनीय है कि इसके बावजूद केन्द्र सरकार ने तुवर का घरेलू उत्पादन 2022-23 सीजन के 33.10 लाख टन से बढ़कर 2023-24 के सीजन में 34.20 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है जिससे सभी हैरान हैं। उद्योग-व्यापार क्षेत्र का मानना है कि तुवर का वास्तविक उत्पादन 30 लाख टन से भी कम हो सकता है।
अक्टूबर में दलहनों की महंगाई दर बढ़कर 18.8 प्रतिशत पर पहुंच गई थी जबकि तुवर का भाव गत वर्ष की तुलना में करीब 41 प्रतिशत ऊपर चल रहा था। सितम्बर में तुवर की महंगाई दर 37.3 प्रतिशत रही थी जो अक्टूबर में 40.9 प्रतिशत हो गई। तुवर का आयात बढ़ाने का प्रयास भी ज्यादा कारगर साबित नहीं हो रहा है। हालांकि घरेलू तुवर के नए माल की आवक शुरू होने वाली है लेकिन कीमतों में ज्यादा गिरावट आने में संदेह है क्योंकि हाजिर में इसका स्टॉक काफी कम बताया जा रहा है।