न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू होने से प्याज निर्यात मंदा पड़ा, जानिए क्यों

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नई दिल्ली। नवंबर 2023 के पहले 21 दिनों में भारत से प्याज का निर्यात पिछले साल की समान अवधि के बराबर ही रहा। जैसे ही केंद्र ने प्याज निर्यात के लिए 800 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लागू किया फसल कटाई में देर होने के कारण निर्यात को झटका लग गया।

विभिन्न निजी एजेंसियों और अनुसंधान संस्थाओं से प्राप्त ब्योरा बताता है कि अगस्त में 40 फीसदी का भारी-भरकम निर्यात शुल्क लगाए जाने के बाद प्याज का निर्यात सुस्त हो चुका था। अक्टूबर के आखिर में एमईपी लागू होने से इसका निर्यात काफी घट गया।

दुबई की कृषि व्यापार कंपनी सिल्करूट डॉट एजी के आंतरिक शोध के आंकड़े बताते हैं कि सितंबर में भारत ने करीब 1,66,711.31 टन प्याज का निर्यात किया जो पिछले साल सितंबर में हुए निर्यात से 48.11 फीसदी कम रहा। उसके बाद अक्टूबर में 2,79,039.50 टन प्याज निर्यात हुआ, जो अक्टूबर, 2022 में निर्यात प्याज की तुलना में करीब 11.80 फीसदी कम रहा।

मगर असली झटका नवंबर में न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू होने के बाद लगा है। 21 नवंबर तक भारत से प्याज का निर्यात पिछले साल 1 से 21 नवंबर के बीच निर्यात के मुकाबले करीब 85 फीसदी घटकर महज 19,347 टन रह गया।

मुख्य तौर पर बांग्लादेश, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात और श्रीलंका जैसे देशों को भारत से प्याज का निर्यात किया जाता है। नवंबर के पहले तीन हफ्तों में इन देशों को प्याज का निर्यात एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले बहुत कम रहा।

बांग्लादेश को 21 नवंबर तक करीब 263 टन प्याज का निर्यात किया गया जबकि पिछले साल 21 नवंबर तक वहां 49,000 टन प्याज भेजा गया था। इस बार नेपाल को तो केवल 88 टन प्याज भेजा गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 8,654.5 टन प्याज निर्यात किया गया था।

देसी बाजार में प्याज की बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिए केंद्र सरकार ने 19 अगस्त को 40 फीसदी आयात शुल्क लगा दिया था। देश के प्रमुख प्याज उत्पाद राज्य महाराष्ट्र में किसानों का विरोध-प्रदर्शन देखते हुए सरकार ने 2 लाख टन अतिरिक्त प्याज खरीदने का फैसला किया।

आयात शुल्क लगने से पहले प्याज का निर्यात मूल्य करीब 320 डॉलर प्रति टन यानी करीब 2,650 रुपये प्रति क्विंटल था। बाद में 29 अक्टूबर को सरकार ने प्याज के लिए 800 डॉलर प्रति टन न्यूनतम निर्यात मूल्य की अधिसूचना जारी कर दी। इस हिसाब से देसी बाजार में कीमत करीब 67 रुपये प्रति किलो होती है। आदेश के मुताबिक एमईपी 31 दिसंबर तक लागू रहेगा।

वैश्विक कमोडिटी अनुसंधान एवं व्यापार के तरुण सत्संगी ने कहा, ‘फसल की कटाई में एक महीने देर होने और बांग्लादेश, नेपाल एवं पश्चिम एशियाई देशों से भारी मांग के कारण पिछले एक महीने में प्याज के दाम आसमान छूने लगे थे। इस साल खरीफ की फसल एक महीने देर से कट रही है। एमईपी और निर्यात शुल्क के कारण नासिक की मंडियों में प्याज के थोक भाव लुढ़के हैं। हमें लगता है कि नई फसल की आवक दिसंबर से शुरू हो जाएगी। उसके बाद कटाई के दो दौर और चलेंगे। इससे 2024 की पहली छमाही में प्याज की आपूर्ति बेहतर होनी चाहिए।’