-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। Rajasthan Election: राजस्थान के कोटा जिले में भारतीय जनता पार्टी की ओर से घोषित प्रत्याशियों के खिलाफ बगावत के रूप में सबसे पहले भाजपा के तीन बार विधायक रह चुके भवानी सिंह राजावत ने प्रत्याशी नहीं बदलने की सूरत में लाडपुरा से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
श्री राजावत ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि यदि रविवार शाम तक भाजपा नेतृत्व ने लाडपुरा विधानसभा सीट से प्रत्याशी को नहीं बदला तो वे सोमवार को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन दाखिल करेंगे।
वर्ष 2003 से लाडपुरा विधानसभा सीट पर लगातार तीन बार भारतीय जनता पार्टी के विधायक रह चुके भवानी सिंह राजावत ने पार्टी के टिकट पर अपनी दावेदारी जताई थी और इस बार भी भाजपा के प्रत्याशी घोषित करने से पहले ही पार्टी के प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पर्चा भर दिया था लेकिन भाजपा ने यहां से एक बार फिर श्रीमती कल्पना देवी को अपना प्रत्याशी बनाया है जो वर्तमान में भी यहां से विधायक हैं।
श्रीमती कल्पना देवी को भाजपा ने पिछली बार वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में श्री राजावत के स्थान पर लाडपुरा विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था। उस समय श्री राजावत यहां से विधायक थे। इस बारे में श्री राजावत का कहना है कि चूंकि कोटा का पूर्व राजपरिवार पहली बार खुले मंच से भारतीय जनता पार्टी से जुड़ रहा था, इसलिए उन्होंने अपना टिकट कटने के बावजूद पार्टी के फैसले को पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के कहने पर सहर्ष स्वीकार कर लिया और चुनाव नहीं लड़ने का फैसला कर श्रीमती कल्पना देवी को समर्थन दिया था।
वे पिछले पांच सालों के अपने कार्यकाल में पूरी तरह विफल साबित हुई है। वे न तो आम जनता की अपेक्षाओं पर खरी उतरी है, न ही पार्टी की उम्मीदों पर। इसलिए उन्होंने एक बार फिर से भाजपा के टिकट की दावेदारी की थी। लेकिन पार्टी ने उनकी दावेदारी भी अनदेखा करके पुन: श्रीमती कल्पना देवी को अपना प्रत्याशी बनाया है जिसका वे विरोध करते हैं ।
श्री राजावत ने कहा कि यदि रविवार शाम तक भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व ने श्रीमती कल्पना देवी को नहीं बदला तो वे सोमवार को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन भरेंगे। श्री राजावत लाडपुरा विधानसभा सीट से वर्ष 2003, 2008 और 2013 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर यहां से विधायक रह चुके हैं। एक बार वर्ष 2003 में विधानसभा चुनाव के बाद जब प्रदेश में श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो उन्हें श्रीमती राजे ने राज्यमंत्री का दर्जा देकर संसदीय सचिव (जनसंपर्क विभाग) बनाया था।
इस विधानसभा सीट पर वर्ष 1998 में अंतिम बार कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में श्रीमती पूनम गोयल विजयी रही थी। उसके बाद से लगातार कांग्रेस चुनाव हारती आ रही है। वर्ष 2003 में श्रीमती पूनम गोयल को भाजपा प्रत्याशी के रूप में भवानी सिंह राजावत ने चुनाव हराया था। उसके बाद लगातार दो बार कांग्रेस ने वर्ष 2008, 2013 में नईमुद्दीन गुड्डू को चुनाव लड़ाया और दोनों ही बार भवानी सिंह राजावत ने उन्हें हराया।
वर्ष 2018 में कांग्रेस ने नईमुद्दीन गुड्डू की जगह उनकी पत्नी श्रीमती गुलनाज गुड्डू को टिकट दिया तो इस बार भाजपा की ओर से चुनाव मैदान में उतारी गई कोटा के पूर्व राजपरिवार की सदस्य श्रीमती कल्पना देवी ने उन्हें शिकस्त दी।
इस बीच शनिवार को पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत ने वरिष्ठ नेता भाजपा नेताओं सत्यभान सिंह, हितेन्द्र शर्मा, लोकेन्द्र सिंह राजावत, योगेन्द्र नन्दवाना, मण्डल अध्यक्ष रविन्द्र सिंह हाड़ा, हुकमचन्द शर्मा, पूर्व मण्डल अध्यक्ष राजकुमार नन्दवाना, पूर्व पार्षद कृष्णमुरारी सामरिया, शकुन्तला बैरवा, भगवान गौतम, जगदीश मोहिल आदि की मौजूदगी में समर्थकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र में जनहितैषी पूर्व राजा-महाराजा ही पार्टी में शामिल होने चाहिए। जैसे दिवंगत विजयाराजे सिंधिया और उनका पूरा खानदान लोकप्रिय जन नेता रहे लेकिन श्रीमती कल्पना देवी ने पूरे लाडपुरा विधानसभा क्षेत्र की जन भावनाओं को राजमहलों में कैद कर दिया।
श्री राजावत ने दावा किया कि बरसों से पिछड़े हुए लाडपुरा क्षेत्र में उन्होंने बालापुरा किशनपुरा लिफ्ट सिंचाई परियोजना, मण्डाना में चम्बल का पीने का पानी, गांव गांव में गौरव पथ, नाॅर्दन बाईपास, शहर में एक दर्जन पानी की टंकियां, 30 करोड़ से अलनिया की नहरों का जीर्णोद्धार, डीसीएम रोड़, भामाशाह मण्डी आरओबी, रंगपुर रोड़ रेलवे ऑवर ब्रिज बनवाये।
ऐसे विकास कार्यों से पूरा लाडपुरा भाजपा का गढ़ बना दिया, लेकिन कल्पना देवी की कार्यशैली से वो गढ़ बिखर गया, ऐसे में आलाकमान को प्रत्याशी पर पुनर्विचार करना चाहिए, नहीं तो लाडपुरा विधानसभा क्षेत्र की सीट हाथ से निकल जायेगी।