देर रात तक जमा कवि सम्मेलन का रंग, गूंजती रही तालियां
कोटा। Kavi Sammelan: राष्ट्रीय दशहरा मेला- 2023 के अंतर्गत शनिवार को विजयश्री रंगमंच पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का रंग देर रात तक जमा। रात भर तालियों की गड़गड़ाहट से मेला परिसर गूंजता रहा। अतिरिक्त मेला अधिकारी प्रेमशंकर शर्मा, अग्निशमन अधिकारी राकेश व्यास, गौतमलाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया। वीररस के लिए देशभर में प्रख्यात डॉ. हरिओम पंवार ने काव्यपाठ किया तो तालियां गूंज उठी।
रतलाम की सुमित्रा सरल ने वाणी वंदना करते हुए वरदायिनी की जैसा.. गाकर कवि सम्मेलन का आगाज किया। इसके बाद कृष्णपाद दास ने ” मैं एक आत्मा जो मुसाफिर मानव शरीर है कश्ती.. भवसागर को पार करने की टिकट नहीं है सस्ती.. आपको शरण लेनी होगी एक कुशल कप्तान की.. फिर क्या है, टिकट भी सस्ती, पार है कश्ती और मस्ती ही मस्ती..” गाकर श्रोताओं को आध्यात्म से जोड़ा। उन्होंने विभिन्न छंदों के माध्यम से बच्चों को संस्कारित करने और जीवन को सकारात्मक बनाने का संदेश दिया।
सुमित्रा सरल ने शृंगार रस से सराबोर “भोला सा दिल मेरा कहीं फरार हो गया.. अब आ गया यदि मुझे की प्यार हो गया..” गाकर श्रोताओं को प्रेम का पाठ पढ़ाया।
वीर रस के कवि संजय शुक्ला ने “मातृभूमि पर मर मिट जाना सबके बस की बात नहीं.. सूरज के आगे तारे चमके तारों की बिसात नहीं.. एक शब्द भी मत कह देना सैनिक की कुर्बानी पर, शहादत का मोल चुका दे किसी की औकात नहीं..” पढ़ी तो वंदेमातरम और भारत माता के जयघोष गूंज उठे।
डीग के कवि सुरेंद्र सार्थक ने कविता के माध्यम से व्यंग्य किए। उन्होंने “खुले आकाश में अपनी कमाई छोड़ देते हैं, मठ्ठा से पेट भरते हैं मलाई छोड़ देते हैं..” पढ़कर व्यंग्य के बाण चलाए। प्रीती अग्रवाल ने “देशद्रोहियों गद्दारों की दाल नहीं गलने देंगे, हमें राम की कसम शत्रु को चाल नहीं चलने देंगे..” के द्वारा राष्ट्रवाद की अलख जगाई।
राजनारायण शर्मा ने “रिश्ते तो रिश्ते होते हैं, रंग बिरंगे लकदक से मदहोश बहकते रहते हैं.. के द्वारा व्यंग्य किए तो श्रोताओं ने खूब दाद दी। आगरा के रमेश मुस्कान ने “तुम फैशन टीवी सी लगती, मैं संस्कार का चैनल हूं, तुम मिनरल वाटर की बोतल, मैं गंगा का पावन जल हूं…” गाकर हास्य पैदा किया।
उन्होंने कविता के माध्यम से श्रोताओं को लोटपोट कर दिया। इसके साथ ही सुरेंद्र यादवेंद्र ने भी “दुश्मन की सरहद पर सिर्फ किराए के हथियार लड़ते हैं, हमारी सीमा पर संस्कृति लड़ती है, संस्कार लड़ते हैं.. गाकर हास्य के साथ सामाजिक संदेश देने का प्रयास किया। देर रात तक चले कवि सम्मेलन में अतुल कनक, मुन्ना बैटरी, नरेश निर्भीक, गौरी मिश्रा ने भी काव्य पाठ किया।