नई दिल्ली। Turmeric Price: टमाटर , दाल, अदरक, मिर्च और जीरा के बाद अब हल्दी की कीमतें आसमान पर पहुंच गई हैं। पिछले तीन महीनों के दौरान हल्दी कीमतें लगभग दोगुनी हो गई हैं। व्यापारियों ने कहा कि अप्रैल-मई के कटाई के महीनों में बेमौसम बारिश के कारण प्रोडक्शन पर काफी खराब असर पड़ा है। साथ ही मानसून के देर से आने के कारण बुआई में देरी के कारण कीमतों में तेज वृद्धि हुई है।
महाराष्ट्र, तेलंगाना और तमिलनाडु में मंडी में मौजूदा कीमतें लगभग 14,000 रुपये प्रति क्विंटल हैं, जो अप्रैल में 7000 रुपये प्रति क्विंटल थीं। शुक्रवार को कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX पर हल्दी की हाजिर कीमतें 12,904 रुपये प्रति क्विंटल बोली गईं, जबकि 20 दिसंबर, 2023 डिलीवरी के लिए वायदा कीमतें बढ़कर 16,082 रुपये प्रति टन हो गईं। इरोड, तमिलनाडु स्थित एक हल्दी व्यापारी ने मीडिया को बताया कि बेमौसम बारिश के कारण किसानों की फसल प्रभावित हुई और बुआई में देरी से चालू वर्ष में उत्पादन पर भी असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि अप्रैल-मई में बारिश के कारण फसल में नमी अधिक हो गई, जिससे सूखने का समय नहीं मिला। इससे महाराष्ट्र में लगभग 7-8 लाख बैग (प्रत्येक 50 किलोग्राम) या 35,000-40,000 टन फसल प्रभावित हुई है। तेलंगाना के निजामाबाद के एक हल्दी व्यापारी ने कहा कि पिछले कुछ सीजन में हल्दी से कम आमदनी के कारण, हल्दी किसानों द्वारा अन्य फसलों की ओर रुख किया गया है, जिससे इस साल उत्पादन में गिरावट आ सकती है।
सूत्रों ने कहा कि व्यापारियों के साथ-साथ किसान भी भविष्य में ऊंची कीमतों की उम्मीद में कुछ स्टॉक अपने पास रखे हुए हैं। व्यापारियों का अनुमान है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष लगभग 10-15% कम उत्पादन होगा। भारतीय मसाला बोर्ड ने फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में हल्दी उत्पादन 1.16 मिलियन टन (एमटी) होने का अनुमान लगाया है, जो 2021-2022 में 1.22 मीट्रिक टन से 5% की गिरावट दर्ज करता है।
बोर्ड ने चालू वर्ष में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में हल्दी के बुवाई क्षेत्र में 10-20% की गिरावट का अनुमान लगाया है। अधिकारियों ने कहा कि अधिक निर्यात और बढ़ती घरेलू खपत का भी घरेलू आपूर्ति पर असर पड़ा है। वित्त वर्ष 2013 में हल्दी निर्यात की मात्रा बढ़कर 0.17 मीट्रिक टन हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष से 11% अधिक है।
कब होती है हल्दी की बुआई
हल्दी की बुआई मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है और अगस्त तक चलती है, जबकि कटाई मार्च और अप्रैल में की जाती है। हल्दी उत्पादक प्रमुख राज्यों में तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश शामिल हैं। भारत दुनिया में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। हल्दी उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी लगभग 80% है, इसके बाद चीन (8%), म्यांमार (4%), नाइजीरिया (3%) और बांग्लादेश (3%) का स्थान है।