पर्यावरण सप्ताह 4 जून से मनाया जाएगा, पेड़ बचाने वाले होंगे सम्मानित

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कोटा। चम्बल संसद ने विश्व पर्यावरण दिवस पर इस बार पर्यावरण सप्ताह के रूप में मनाने का निर्णय किया है। इसी क्रम में पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों और पेड़ बचाने वाले लोगों को सम्मानित किया जाएगा।

चम्बल संसद के समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय, अध्यक्ष कुंजबिहारी नंदवाना ने बताया कि पर्यावरण दिवस की पूर्व बेला में 4 जून को वन विभाग के अनंतपुरा स्थित स्मृतिवन, लव कुश वाटिका में सुबह 6 बजे वृक्ष पूजन के साथ पौधों की देखभाल की जाएगी तथा पर्यावरणीय समस्याओं पर संगोष्ठी की जाएगी।

5 जून को सुबह 11 बजे पर्यावरण दिवस पर समस्याओं को प्रशासन के सामने रख कर सरकार के साथ समाधान के उपायों के साथ संवाद किया जाएगा। सायं तकनीकी विशेषज्ञों से संवाद किया जाएगा।

6 जून को सुबह 11 बजे ओम कोठारी प्रबंध संस्थान में महिला जागृति कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम की संयोजक गीता दाधीच को बनाया गया है। 7 व 8 जून को शिक्षण संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम किए जाएंगे। 9 जून को अपरान्ह जिले के मण्डाना क्षेत्र में जोधपुरा, बंधावा में तरूण भारत संघ व डीसीएम द्वारा कराए जा रहे वर्षा जल संरक्षण कार्यों का अवलोकन किया जाएगा।

इन सभी कार्यक्रमों में जल बिरादरी, तरूण भारत संघ, बाघ- चीता मित्र, कोटा एनवायरमेंटल सेनीटेशन सोसायटी के अलावा मित्र संस्थाओं के लोग सक्रिय भागीदारी करेंगे। वन संरक्षण, स्वच्छता मिशन में प्लास्टिक, पाॅलीथीन के पुर्नचक्रण के कार्य में तेजी लाने का प्रयास किया जाएगा।

विजयवर्गीय ने बताया कि वन एवं वन्यजीवों का संरक्षण इंसानों के लिए अति आवश्यक है। सह अस्तित्व की भावना से ही इंसान और वन्यजीव सुरक्षित रह सकतें हैं। किसी प्रजाति का लुप्त होना सभ्य समाज के लिए कलंक है।

पर्यावरण सप्ताह की गतिविधियों में बताया जाएगा कि वन्यजीव केवल बाघ और चीतों तक सीमित नहीं है। इनकी दुनिया बहुत बड़ी है। पक्षी, जलचरों, उभयचरों ,वनस्पतियों का सभी का एक दूसरे पर जीन निर्भर है। प्रकृति में वन्यजीव संरक्षण खाद्य श्रंखला का महत्पूर्ण विषय है।

बाघ- चीता मित्र (चम्बल संसद) संयोजक विजयवर्गीय ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण पर विचार करते हुए हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि चम्बल में कोटा क्षेत्र में घडियाल लुप्त हो गए।

सोरसन में गोडावण लुप्त हो गए। इस बार सारस की संख्या भी नगण्य रही। बढ़ती जनसंख्या और अनियोजित विकास के कारण पर्यावरण पर संकट बढ़ रहा है। इनमें संतुलन की बहुत आवश्यकता है। दुबई में रेगिस्तान है, लेकिन वहां कृत्रिम तरीके अपना कर विकास किया रहा है।

राजस्थान तो प्रकृति का खजाना है। चम्बल की जैव विविधता का वर्णन करते हुए लुप्त हो रहे वन्यजीवों से मनुष्यों को आने वाले खतरों से सचेत किया जाएगा। वन्यजीवों को बचाने और उससे होने वाले फायदों के बारे में विस्तार से बताया जाएगा।