प्रधानमंत्री मोदी अजमेर दौरे में ईआरसीपी पर अपना वादा याद रखेंगे!

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नेता इस बात को लेकर जश्न मनाने के मूड में है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान की अपने दूसरे दौर की यात्रा में 31 मई को अजमेर आ रही है और प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की खुश होने की बड़ी वजह यह है कि वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अक्टूबर 2018 में अजमेर से ही जनसभा करके चुनावी बिगुल फूंका था।

प्रदेश के भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की इस खुशफ़हमी के विपरीत राजस्थान के 13 जिलों के लाखों किसान परिवारों के लिए यह आक्रोश व्यक्त करने की घड़ी है। क्योंकि वर्ष 2018 में राजस्थान विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव का बिगुल फूंकते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजमेर में हुई सभा में पहली बार राज्य के 13 जिलों के लाखों किसान परिवारों की दृष्टि से अति महत्वकांक्षी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को विधानसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का बढ़-चढ़ कर दावा किया था।

अपनी यात्रा के उसी चरण में जयपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में आयोजित एक अन्य चुनावी जनसभा में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को विधानसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का अपना यह वादा दोहराया था।

दिसंबर, 2018 में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद जब प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को करारी शिकस्त क्या मिली कि अक्टूबर,2018 में अजमेर में हुई इस जनसभा के बाद अब लगभग साढ़े चार साल का समय बीतने को आया है, लेकिन प्रधानमंत्री को विधानसभा चुनाव के बाद पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना देने का वादा याद तक नहीं रह गया है।

बीते इस कालखंड में प्रधानमंत्री के लिए राजस्थान के 13 जिलों की लाखों किसान परिवारों की दृष्टि से अति महत्वकांक्षी परियोजना पर चर्चा करने का तो सवाल ही नहीं उठता है।
केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कृपण और संकीर्ण राजनीतिक सोच का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि राजस्थान के विधानसभा चुनाव के बाद हुए आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को भारी सफलता मिली थी। प्रदेश की सभी सीटों पर भाजपा चुनाव जीती थी।

केंद्र में एक बार फिर से नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री ने अपने कैबिनेट में जोधपुर संसदीय क्षेत्र से राजस्थान के मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत को चुनाव हराने वाले गजेंद्र सिंह शेखावत को केंद्रीय जल संसाधन मंत्री बनाया। खास बात यह है कि देश की किसी भी बड़ी और महत्वाकांक्षी नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने में जल संसाधन मंत्रालय की अहम भूमिका होती है।

लेकिन कांग्रेस और व्यक्तिगत रूप से प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से रंजिश-दुराव रखने वाले गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक बार भी किसी मंत्रिमंडल की बैठक में या अपने ही मंत्रालय की किसी बैठक में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने का मुद्दा उठाने की कभी कोई कोशिश तक नहीं की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने लाखों किसान परिवारों के हितों को गिनाते हुए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के महत्व को इंगित कर इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने के मामले में व्यक्तिगत स्तर पर बातचीत करने की गजेंद्र सिंह शेखावत की राजनीतिक हैसियत न तो पहले कभी थी, ना अभी है और न हीं निकट भविष्य में होने के कोई आसार है। इसलिए गजेंद्र सिंह शेखावत जैसे कमजोर केंद्रीय मंत्री से कोई उम्मीद करना ही व्यर्थ है।

इसके विपरीत कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के इस मुद्दे पर राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अब तक राजनीति से ऊपर उठकर कार्य किया है। क्योंकि श्रीमती वसुंधरा राजे जिस समय राजस्थान की मुख्यमंत्री थी, तब उन्होंने प्रदेश के पूर्वी हिस्से के 13 जिलों के लाखों किसान परिवारों की सिंचाई-पेयजल की जरूरत को समझा। इसे देखते हुए श्रीमती राजे ने पूर्व राजस्थान नहर परियोजना बनाई थी और इसका खाका तैयार करके राज्य सरकार के स्तर पर इसे मंजूरी दी थी।

लेकिन, श्रीमती वसुंधरा राजे के अपने दुर्भाग्य से प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिली और अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। मुख्यमंत्री बनने के बाद अशोक गहलोत ने श्रीमती राजे के कार्यकाल में बनी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के महत्व को समझा और इसी के चलते इस परियोजना को राजनीतिक दुर्भावनावश ठंडे बस्ते में डालने के बजाय किसान हित में इस परियोजना का काम आगे बढ़ाया है।

अशोक गहलोत ने न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी अजमेर और जयपुर ग्रामीण की चुनावी सभा में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने का अपना वादा पूरा करने की बात याद दिलाई, बल्कि अपनी ओर से सालाना बजट में इस परियोजना के लिए बजट प्रावधान भी किया जो पिछले बजट तक जारी था, लेकिन पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को तैयार करने के लिए इतने बड़े पैमाने पर वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता है कि इसे राज्य सरकार के लिए अपने अकेले बूते पर पूरा कर पाना लगभग असंभव है।

केंद्र के स्तर पर भारी वित्तीय मदद मिले बिना जिसे पूरा नहीं किया जा सकता और केंद्र सरकार पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दे तो वित्तीय जरूरत पूरा करने के सभी द्वार खुल जाएंगे।

वैसे यह आरोप अकसर लगते रहे है कि यदि इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीत जाए और नरेंद्र दामोदरदास मोदी के मनमाफिक कोई “गैर वसुंधरा राजे व्यक्ति” प्रदेश का मुख्यमंत्री बन जाए तो पूर्वी राजस्थान सिंचाई परियोजना के ‘भाग’ खुल सकते हैं और इसे प्रधानमंत्री राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने में कतई भी हिचकिचाहट महसूस करने वाले नहीं है।