खाद्य तेलों के लिए एगमार्क पंजीकरण समाप्त करने की अधिसूचना जारी

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नई दिल्ली भारतीय खाद्य संरक्षा व मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने कई स्रोतों से बनाए जा रहे खाद्य तेलों के लिए एगमार्क पंजीकरण समाप्त करने के प्रारूप की अधिसूचना जारी की है। इससे कारोबार सुगमता के साथ-साथ खाद्य क्षेत्र पर लागू होने वाले कानूनों की संख्या घटेगी। उद्योग के दिग्गजों के मुताबिक ऐसे खाद्य तेलों के लिए FSSAI लाइसेंस ही पर्याप्त होगा और अलग से एगमार्क के पंजीकरण की जरूरत नहीं होगी।

इस प्रारूप की अधिसूचना कुछ दिन पहले जारी की गई थी। सरकारी अधिसूचना के प्रकाशन के 60 दिनों तक सार्वजनिक तौर पर राय मांगी गई है। इस प्रारूप को खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री पर प्रतिबंध और रोक) संशोधन विनियम, 2023 कहा गया है। इस प्रारूप का खाद्य तेल उद्योग ने खुले दिल से स्वागत किया है।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इस अधिसूचना में एगमार्क पंजीकरण को समाप्त करने का सुझाव दिया है। यह स्थितियों को आसान बना रही है। यह उद्योग और देश के लिए अच्छा है।’

FSSAI का प्रारूप एक देश, एक कानून की भावना के अनुरूप है। अभी कई खाद्य वस्तुओं के लिए एगमार्क पंजीकरण की अनिवार्यता नहीं है। एफएसएसएआई के लाइसेंस को उत्पाद की गुणवत्ता आकलन करने के लिए पर्याप्त रूप से अच्छा मानदंड माना जाता है।

भारत में खाद्य तेलों की सालाना खपत 2.3 करोड़ टन है। इसमें से एक करोड़ से 1.1 करोड़ टन खाद्य तेल की जरूरत घरेलू संसाधनों से पूरी होती है। शेष आयात से पूरी होती है। आयातित होने वाले खाद्य तेल में ज्यादातर पॉम ऑयल होता है। पॉम ऑयल का सालाना 80 लाख टन आयात होता है और शेष आयात सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल का होता है।

भारत ने बड़े पैमाने पर 1990 के दशक में खाद्य तेल का आयात शुरू किया। इसके बाद से आने वाले 20 वर्षों (1990-91 से 2020-21) तक आयात की मात्रा में 160 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है।

यह मूल्य के संदर्भ में 7,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में करीब 1.17 लाख करोड़ रुपये हो गया। भारत ने 2018-19 में अभी तक का सबसे ज्यादा खाद्य तेल की मात्रा 1.49 करोड़ टन का आयात किया था।