नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय व घरेलू वजह से खाद्य तेलों के थोक भाव काफी गिर चुके हैं। सरसों और सोयाबीन तेल के थोक भाव 100 रुपये किलो से नीचे आ गए हैं। थोक भाव धड़ाम से गिरने के बावजूद खाद्य तेल उपभोक्ताओं को बड़ी राहत नहीं मिली है क्योंकि खुदरा कीमतें थोक कीमतों की तुलना में आधी ही घटी है।
इसलिए केंद्र सरकार को खाद्य तेल उद्योग को खुदरा कीमतें घटाने के लिए कहना पडा है। इसके बाद उद्योग द्वारा खुदरा कीमतें घटाने की कवायद चल रही है। एक साल पहले सरसों तेल खुदरा बाजार में 150 रुपये किलो बिक रहा था, जो गिरकर अब 35 फीसदी से ज्यादा घटकर 98 रुपये किलो रह गया है।
इसी तरह इस दौरान सोयाबीन तेल के दाम 38 फीसदी घटकर 95 रुपये, सूरजमुखी तेल के थोक भाव करीब 49 फीसदी घटकर 90 रुपये किलो रह गए हैं। आयातित तेलों में कच्चे पाम तेल के दाम 42 फीसदी घटकर 85 रुपये और आरबीडी पामोलीन के दाम 38 फीसदी घटकर 92 रुपये किलो रह गए हैं।
उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार देश भर में सरसों तेल की औसत खुदरा कीमत साल भर में करीब 185 रुपये से करीब 19 फीसदी घटकर 150 रुपये किलो, सोयाबीन तेल की कीमत 170 रुपये से 19 फीसदी घटकर 137 रुपये और सूरजमुखी तेल की कीमत 192 रुपये से 25 फीसदी घटकर करीब 144 रुपये किलो रह गई है।
आयातित तेलों में पाम तेल के खुदरा भाव इस दौरान 159 रुपये से 31 फीसदी घटकर 110 रुपये और पामोलीन के खुदरा दाम 164 रुपये से 19 फीसदी घटकर 133 रुपये किलो रह गए हैं। आंकड़ों से जाहिर है कि सरसों तेल थोक में 35 फीसदी के मुकाबले खुदरा में 19 फीसदी, सोया तेल 38 फीसदी के मुकाबले 19 फीसदी, सूरजमुखी तेल 49 फीसदी के मुकाबले 25 फीसदी ही सस्ता हुआ है।
आयातित तेलों में पाम तेल थोक में 42 फीसदी के मुकाबले खुदरा में 31 फीसदी और पामोलीन वनस्पति तेल 38 फीसदी के मुकाबले 19 फीसदी ही सस्ता हुआ है। सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (COOIT) के चेयरमैन सुरेश नागपाल ने बताया कि थोक भाव तेजी से गिरने के बाद कंपनियों ने भी खाद्य तेलों के खुदरा भाव घटाने शुरू कर दिए हैं। हालांकि ऊंचे भाव पर खरीदे गए खाद्य तेलों के खुदरा भाव ज्यादा दिख रहे हैं। बाजार में जल्द ही घटी कीमत वाले ज्यादातर खाद्य तेल उपलब्ध हो जाएंगे।