राहुल गांधी ने सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने का सपना तोड़ा, जानिए कैसे

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जयपुर। राहुल गांधी ने सचिन पायलट का मुख्यमंत्री बनने का सपना तोड़ दिया है। पिछले चुनाव के दौरान सचिन पायलट पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष थे। उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया। कांग्रेस सत्ता में आई लेकिन सचिन पायलट मुख्यमंत्री नहीं बन सके। राजस्थान कांग्रेस में पिछले दिनों गहलोत और पायलट गुट में हुए घमासान को लेकर राहुल गांधी ने ऐसा जवाब दिया, जिससे पायलट और उनके समर्थकों को बड़ा धक्का लगा है।

सचिन पायलट और उनके समर्थक पिछले ढाई महीने से इंतजार कर रहे थे कि पिछले दिनों गहलोत गुट के जिन नेताओं ने अनुशासनहीनता की, उनके खिलाफ जल्द कार्रवाई होने वाली है। लेकिन राहुल गांधी के जवाब ने पायलट और उनके समर्थकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ को अनुशासनहीनता का नोटिस थमाया गया था। पायलट समर्थक कई बार मांग कर चुके हैं कि अनुशासनहीनता करने वालों के खिलाफ जल्द निर्णय लिया जाए और अनिर्णय की स्थिति साफ हो। राहुल गांधी ने जयपुर में कह दिया कि इस मामले में कोई अनिर्णय की स्थिति नहीं है। पार्टी में ऐसा होता रहता है। इसका मतबल साफ है कि मामला लंबित नहीं है, पार्टी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है।

राहुल गांधी को खुश करने के लिए दौसा में शुक्रवार को सचिन पायलट के समर्थकों ने जबरदस्त उत्साह दिखाया। दौसा में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारी भीड़ उमड़ी। भीड़ को देखकर राहुल गांधी गदगद हो गए। उन्होंने कहा कि अब तक की रैली में सबसे ज्यादा उत्साह राजस्थान में देखा गया है।

इतना ही नहीं सचिन पायलट समर्थकों ने राहुल गांधी के सामने ही सचिन पायलट जिन्दाबाद के नारे लगा दिए। इससे पहले भारत जोड़ो यात्रा की राजस्थान में एंट्री के दौरान भी सचिन पायलट के समर्थकों ने सैंकड़ों की तादाद में पोस्टर और होर्डिंग्स लगाए। इन पोस्टर्स और होर्डिंग्स में राहुल गांधी के साथ सचिन पायलट की बड़ी बड़ी तस्वीरें लगाई गई। इस शक्ति प्रदर्शन का कोई असर देखने को नहीं मिला।

नेतृत्व पर फैसला नहीं
जयपुर में मीडिया से रूबरू होते हुए राहुल गांधी ने साफ कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, यह अभी तय नहीं है। इस बारे में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे निर्णय लेंगे। गौरतलब है कि पिछले चुनाव के दौरान सचिन पायलट पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष थे। उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया। कांग्रेस सत्ता में आई लेकिन सचिन पायलट मुख्यमंत्री नहीं बन सके।