नई दिल्ली। एलपीजी सिलेंडर से गैस चोरी रोकने के लिए सरकार उसका आधार कार्ड (Aadhaar Card) बनवा रही है। आप चौंक तो नहीं गए? केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने यही कहा कि गैस सिलेंडरों का आधार बनेगा।
यह असली आधार कार्ड नहीं है क्योंकि यह तो इंसानों का बनता है। लेकिन है कुछ-कुछ आधार कार्ड जैसा ही। दरअसल, सरकार सभी गैस सिलेंडरों को क्यूआर कोड (QR Code) से लैस कर रही है। इससे उस गैस सिलेंडर की ट्रैकिंग आसान हो जाएगी। बस, इसी से गैस चोर पकड़े जाएंगे।
World LPG Week 2022 के अवसर पर हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि सभी घरेलू गैस सिलेंडरों पर क्यूआर कोड लगाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट को शुरू कर दिया गया है। तीन महीने के अंदर सभी गैस सिलेंडरों पर क्यूआर कोड लग जाएगा। उन्होंने बताया कि पुराने गैस सिलेंडरों पर क्यूआर कोड का मेटल स्टीकर वेल्ड किया जाएगा। नए गैस सिलेंडर पर पहले से ही क्यूआर कोड डला होगा।
कैसे रुकेगी गैस की चोरी
इंडियन ऑयल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि क्यूआर कोड से गैस सिलेंडर के लैस होने पर इसकी ट्रेकिंग आसान हो जाएगी। अभी जिस सिलेंडर में कम गैस की शिकायत मिलती है, उसे साबित करना मुश्किल हो जाता है कि इस डीलर के यहां से निकला है। यदि पता चल भी गया कि उस डीलर से निकला तो यह नहीं बता सकते कि उस सिलेंडर को किस डिलीवरीमैन ने डिलीवर किया। लेकिन यदि सिलेंडर पर क्यूआर कोड लग जाएगा तो सब कुछ एक झटके में पता चल जाएगा। फिर चोर को पकड़ना बेहद आसान हो जाएगा। जब चोर को पकड़े जाने का डर होता तो वह अपने आप चोरी रोक देगा।
क्यूआर कोड के फायदे
आईओसी के अधिकारी ने बताया कि क्यूआर कोड के और भी फायदे हैं। इससे यह पता चलेगा कि किस सिलेंडर में कितने बार रिफिलिंग की गई है। एक सिलेंडर को वापस रिफिलिंग सेंटर आने में कितने दिन लगता है। यदि कोई घरेलू गैस सिलेंडर का कामर्शियल उपयोग करते हुए पकड़ा जाएगा तो यह पता करना आसान हो जाएगा कि उसकी डिलीवरी किस डीलर से हुई है।
क्यूआर कोड की शुरूआत हो चुकी
पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस समय देश भर में करीब 30 करोड़ घरेलू एलपीजी के कंज्यूमर हैं। इनमें से अकेले आईओसी के करीब 15 करोड़ कंज्यूमर हैं। 30 करोड़ कंज्यूमरों में से करीब आधे के पास डबल सिलेंडर हैं। इस तरह से करीब 70 करोड़ घरेलू गैस सिलेंडर देश भर में हैं। इनमें तीन महीने में क्यूआर कोड लगा देने का लक्ष्य तय किया गया है। इसकी शुरूआत हो चुकी है।