GST से पहले का डेटा जुटा रहा टैक्स डिपार्टमेंट

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मुंबई। टैक्स डिपार्टमेंट ने बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से पिछले लेनदेन की जानकारी मांगी है। इससे डिपार्टमेंट को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) कैलकुलेशंस की जांच में मदद मिलेगी।

इस मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने बताया कि टैक्स डिपार्टमेंट ने बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से जुलाई में उनकी ओर से GST के तहत क्लेम किए गए ट्रांजिशनल क्रेडिट पर स्पष्टीकरण मांगा है।

डिप्टी कमिश्नर्स और असिस्टेंट कमिश्नर्स (सेंट्रल टैक्स) को हाल ही में समन जारी कर पांच एरिया में डेटा देने को कहा गया है। ये डेटा पिछले सेल्स टैक्स रिकॉर्ड, जून में टैक्स का क्लोजिंग बैलेंस, क्रेडिट के प्रकार, 1 जुलाई से पहले वेंडर इनवॉयस की डिटेल्स और 1 जुलाई से पहले वेंडर्स और सर्विस प्रोवाइडर्स को दी गई पेमेंट से जुड़े हैं।

ट्रांजिशनल क्रेडिट का मतलब सेल्स टैक्स, एक्साइज और वैल्यू एडेड टैक्स पर 1 जुलाई से पहले प्री-GST स्टॉक के लिए जमा टैक्स क्रेडिट है। ऐसे क्रेडिट का जुलाई में लागू हुए GST के तहत देनदारी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

टैक्स अधिकारियों को शक है कि कुछ कंपनियां इस प्रोविजन का गलत इस्तेमाल कर रही हैं और उन्होंने अधिक ट्रांजिशनल क्रेडिट क्लेम करने के लिए जाली रिटर्न दाखिल किया है। जुलाई में मिले 95,000 करोड़ रुपये के GST में से लगभग 65,000 करोड़ रुपये का क्लेम रिफंड या ट्रांजिशनल क्रेडिट था।

बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से मिले डेटा की यह देखने के लिए जांच की जाएगी कि इनमें गड़बड़ियां तो नहीं हैं। हालांकि, कंपनियों का कहना है कि उन्हें जानकारी देने के लिए अधिक समय नहीं दिया गया है।

एक बड़े मल्टीनेशनल बैंक के फाइनेंस हेड ने बताया, ‘हमें कुछ दिन पहले नोटिस मिला है। इसमें कई जानकारी मांगी गई है। हमें अभी ये सूचनाएं नहीं दे पाए हैं। एक टैक्स अधिकारी ने हाल ही में मुझे फोन कर जरूरी डॉक्युमेंट्स जल्द जमा करने को कहा था।

अधिकारी का कहना था कि बैंक की ओर से क्लेम किया गया ट्रांजिशनल क्रेडिट बहुत अधिक है। मैंने उन्हें बताया है कि ट्रांजिशनल क्रेडिट को हमारे टैक्स के मासिक भुगतान से जोड़कर देखा जाना चाहिए।’

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई कंपनियों ने अभी तक ट्रांजिशनल क्रेडिट की डिटेल्स जमा नहीं की हैं। ये डिटेल्स
Tran-1 फॉर्म के जरिए दी जानी हैं।

इस बारे में डेलॉयट इंडिया के पार्टनर, एम एस मणि ने बताया, ‘Tran-1 फॉर्म को जमा करने की तारीख बढ़ाकर 31 अक्टूबर की गई है और इसके बाद ही पूछताछ करना बेहतर होगा।’