खुदरा महंगाई में खाद्य और कच्चे तेल की कीमतों की अहम भूमिका : वित्त मंत्रालय

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नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय रिपोर्ट के मुताबिक भारत में खुदरा महंगाई की मुख्य वजह खाद्य व कच्चे तेल की कीमतों में होने वाली बढ़ोतरी है और इन दोनों कीमतों में बढ़ोतरी के लिए वाह्य कारक जिम्मेदार है। खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों पर रोक के लिए किए गए उपाय से मई में थोड़ी राहत भी मिली है और उम्मीद है कि आगे और राहत मिलेगी। पिछले पांच महीनों से खुदरा महंगाई दर आरबीआइ द्वारा तय छह फीसद की अधिकतम सीमा से ऊपर चल रही है।

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक भारत अपनी जरूरत का 60 फीसद खाद्य तेल आयात करता है। इस साल मार्च में खाद्य तेल की खुदरा कीमतों में पिछले साल मार्च के मुकाबले 18.7 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई क्योंकि उससे पहले रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से सूरजमुखी के तेल की सप्लाई बाधित हो गई थी जिससे घरेलू स्तर पर सोयाबीन और पाम तेल के दाम में बढ़ोतरी हो गई थी।

मार्च के बाद इस साल अप्रैल में खाद्य तेल के खुदरा दाम में 17.3 फीसद की बढ़ोतरी रही और मई में यह बढ़ोतरी कम होकर 13.3 फीसद रह गई। क्योंकि इंडोनेशिया ने पाम तेल के निर्यात पर जो रोक लगाई थी उसे हटा लिया और सरकार ने खाद्य तेल के आयात पर लगने वाले शुल्क में कटौती कर दी।

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक गैर खाद्य वस्तुओं की खुदरा कीमतें मुख्य रूप से कच्चे तेल के दाम में इजाफा से प्रभावित हो रही है। इस साल अप्रैल में ब्रेंट क्रूड की कीमत औसतन 105.8 डॉलर प्रति बैरल रही जो इस साल मई में औसत कीमत बढ़कर 112.4 डॉलर प्रति बैरल हो गई।

इसकी मुख्य वजह यह रही कि चीन में कोरोना कम होने से वहां तेल की मांग बढ़ गई और यूरोप के देशों ने दिसंबर तक रूस से होने वाले तेल आयात में 90 फीसद की कटौती का फैसला किया। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसद कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में यह काफी महत्वपूर्ण होगा कि भारत सस्ते दाम पर तेल बेचने को तैयार देशों से कितनी अधिक मात्रा में तेल खरीद पाता है।