नई दिल्ली। जीएसटी और डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ देश भर के ट्रक ऑपरेटरों का दो दिन का चक्का जाम रविवार आधी रात से शुरू हो गया। ट्रक ऑपरेटरों ने धमकी दी है कि दो दिन की इस सांकेतिक हड़ताल के बावजूद उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो दिवाली के आसपास अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो सकती है।
ट्रक ऑपरेटरों की मांग है कि जीएसटी में उन्हें राहत दी जाए और पुराने ट्रक बेचने पर लगने वाले 28 फीसदी टैक्स के प्रावधान को खत्म किया जाए। दो दिन की इस हड़ताल से दो हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने की आशंका है।
ऑल इंडिया मोटर्स ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के उत्तरी भारत के उपाध्यक्ष हरीश सब्बरवाल के मुताबिक, 48 घंटे तक देश भर के 93 लाख ट्रकों का चक्का जाम रहेगा। 50 लाख बसों के ऑपरेटर भी हमारी यूनियन के सदस्य हैं, लेकिन फिलहाल उन्हें हड़ताल में शामिल नहीं किया गया है।
जीएसटी और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ ट्रांस्पोर्टरों की देशव्यापी हड़ताल का खामियाजा देश की जनता को भुगतना पड़ेगा। पहले ही कई फलों और सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल मुसीबत और बढ़ा सकती है।
आजापुर एपीएमसी सचिव सतनाम सिंह का कहना है कि मंडी में हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से फलों की सप्लाई होती है। सब्जियों की सप्लाई दिल्ली से सटे राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश और एनसीआर के गांवों से होती है।
ऐसे में फलों और सब्जियों की मांग के हिसाब से आपूर्ति न होने से दामों में इजाफा होने की संभावना है। खासकर प्याज और मंहगी सब्जियों पर हड़ताल का असर पड़ेगा। जिन सब्जियों के दाम कम है, उनपर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
पब्लिक का होगा नुकसान
ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल का सीधा नुकसान आम जनता को होगा, क्योंकि हड़ताल होने से सब्जियों और फलों के लिए दोगुने और चौगुने दाम देने पड़ेंगे। देखा जाए तो पहले से ही सब्जियों और फलों के दाम काफी बढ़े हुए हैं। जानकारों के मुताबिक फूल गोभी, पत्तागोभी, परवल के अलावा प्याज के दामों पर खास असर पड़ेगा।