वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की हमेशा से यही कोशिश रही है कि ज्यादा उपभोग की चीजों पर लगने वाली टैक्स दरों को नीचे लाया जाए।
नई दिल्ली । केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संकेत दिए हैं कि एक बार रेवेन्यू में इजाफा होने के बाद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अंतर्गत स्लैब (टैक्स स्लैब) को कम किया जा सकता है।
गौरतलब है कि वस्तु एवं सेवा कर के अंतर्गत वस्तुओं एवं सेवाओं को चार टैक्स स्लैब 5 फीसद, 12 फीसद, 18 फीसद और 28 फीसद में बांटा गया था। इसके अलावा कुछ उत्पादों पर अतिरिक्त मुआवजा उपकर भी लागू है।
जेटली ने कहा, “हम शुरूआती दो-तीन महीनों में हैं। हमारे पास शुरुआत से ही सुधार के लिए जगह और गुंजाइश है। हमारे पास सुधार की गुंजाइश है और जहां तक छोटे करदाताओं का संबंध है, अनुपालन बोझ को कम करने में सुधार की आवश्यकता है।”
उन्होंने नेशनल एकेडमी ऑफ़ कस्टम्स, इन-डायरेक्ट टैक्स और नारकोटिक्स (एनएसीआईएन) द्वारा आयोजित एक समारोह में कहा, “हमारे पास शुरुआत से ही सुधार की गुंजाइश है।
एक बार हम रेवन्यू की दृष्टि से न्यूट्रल हो गए, तो बड़े सुधारों के बारे में विचार करेंगे, लेकिन उसके लिए पहले हमें राजस्व तटस्थ होना जरूरी है।”
इस बात पर जोर देते हुए कि अप्रत्यक्ष करों का बोझ समाज के सभी वर्गों की ओर से उठाया जाता है वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की हमेशा से यही कोशिश रही है कि ज्यादा उपभोग की चीजों पर लगने वाली टैक्स दरों को नीचे लाया जाए।
वहीं उन्होंने आगे कहा कि डायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर) का भुगतान समाज के प्रभावी वर्ग (अमीर तबका) की ओर से किया जाता है, गरीबों की ओर से नहीं। लेकिन अप्रत्यक्ष टैक्स का बोझ निश्चित रूप से हर किसी पर पड़ता है।