नई दिल्ली। ग्वार की फसल इस बार कमजोर दिखाई पड़ रही है. पिछले साल ग्वार का 55 लाख बोरी के आसपास का उत्पादन देखा गया। वही इस बार लगभग 35 लाख बोरी के आसपास के उत्पादन का अनुमान जताया जा रहा है। इस बार ग्वार का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले काफी कम रहने वाला है जो डिमांड और सप्लाई के अंतर को काफी बढ़ा देगा।
जानकारों के अनुसार अगर ग्वार की डिमांड और सप्लाई के अंतर को पूरा करना है तो लगभग 80 लाख बोरी के आसपास का ग्वार होना चाहिए। ग्वार के ट्रेडर्स और मार्केट एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ग्वार की तेजी-मंदी इतनी फसल पर निर्भर नहीं करती, जितनी डिमांड और सप्लाई पर करती है। ग्वार के मौजूदा ट्रेंड को देखा जाए तो ग्वार की तेजी-मंदी अब डिमांड पर शिफ्ट हुई है न कि इसकी फसल पर।
ग्वार में मंदी-तेजी कैसे होगी तय
ग्वार के एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिस दिन बाजार में निर्यातक माल लेने आते है कीमतें बढ़ जाती है। जिस दिन नहीं आते बाजार शांत रहता है और कीमतों में गिरावट रहती है। यही वजह है की हमने वायदा में ग्वार की कीमतों में कभी 6 फीसदी के ऊपरी सर्किट तो कभी 6 फीसदी के निचले सर्किट लगते देखे हैं।
हालांकि ग्वार के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है, वहीं कुछ जानकारों का ये भी कहना है कि जो किसान है वो ग्वार को अच्छी तेजी में भी बेचने को तैयार नहीं हैं। क्योंकि उन्हें इसके और बढ़िया दाम चाहिए।
ग्वार एक ऐसी कमोडिटी है जो कि सालों तक खराब नहीं होती है और स्टॉक की जा सकती है। अभी कुछ मार्केट एक्सपर्ट्स का ये मानना है कि ग्वार के निर्यात में थोड़ी और बढ़ोतरी होने से और पाउडर प्लांट द्वारा खरीदी होने से ग्वार की कीमतों को पंख लग सकते है।