नई दिल्ली। मोदी सरकार सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और बैंक ऑफ इंडिया के प्राइवेटाइजेशन पर विचार कर रही है। इसी के चलते सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लाने की तैयारी है। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण में सरकार को आसानी होगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल फरवरी में 2021-22 का बजट पेश करते हुए विनिवेश कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों (PSB) के निजीकरण की घोषणा की थी। इसके बाद से ही सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण का रास्ता आसान करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।
सूत्रों ने कहा कि सत्र के दौरान पेश किए जाने वाले बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 के जरिये पीएसबी में न्यूनतम सरकारी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से घटाकर 26 प्रतिशत करने की संभावना है। हालांकि उसने कहा कि इस विधेयक को पेश करने के समय के बारे में अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल ही करेगा।
विनिवेश पर गठित सचिवों के मुख्य समूह की तरफ से जिन बैंकों का नाम सुझाया गया है, उनमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और बैंक ऑफ इंडिया के नाम शामिल हैं, जिनके निजीकरण पर विचार किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि निजीकरण से पहले ये बैंक अपने कर्मचारियों के लिए आकर्षक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) ला सकते हैं।
हालांकि ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की निजीकरण योजना के खिलाफ संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन की घोषणा की है। एआईबीओसी के महासचिव सौम्य दत्ता ने इस विरोध-प्रदर्शन की घोषणा करते हुए कहा था कि सरकार 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में बैंकों के निजीकरण का विधेयक पेश कर सकती है।