नई दिल्ली। टेलीकाम सेक्टर का नियामक ट्राई एक बार फिर यह जांच करेगा कि केबल टीवी या डायरेक्ट-टु-होम (डीटीएच) व अन्य डिजिटल माध्यम से टीवी चैनल की सुविधा देने वाली कंपनियां उपभोक्ता से अधिक कीमत तो नहीं वसूल रही हैं। कुछ साल पहले इस प्रकार की जांच के तहत ही चैनल के बुके सिस्टम की शुरुआत की गई थी ताकि उपभोक्ता कम कीमत में अधिक चैनल देख सकें लेकिन ट्राई ने पाया कि कंपनियां ला कार्टे (अलग-अलग कैटेगरी के चैनल का ग्रुप) या अन्य तरीकों से उपभोक्ता से अधिक कीमत वसूलने की इच्छुक हैं।
ट्राई ने इन कंपनियों को इस बात की चेतावनी दी है कि प्राधिकरण इन चीजों की निगरानी कर रहा है और नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई से कोई परहेज नहीं किया जाएगा। ट्राई को लगता है कि पिछले कुछ वर्षो में टीवी चैनल देखने के लिए केबल टीवी, डीटीएच, इंटरनेट प्रोटोकाल टेलीविजन (आइपीटी) जैसे कई माध्यम हो गए हैं।
इसके बावजूद आपसी गुटबाजी के जरिये ये कंपनियां अलग-अलग जगहों पर एकाधिकार स्थापित कर उपभोक्ताओं से अधिक रकम वसूल सकती हैं। इसे रोकने या इस प्रकार की मंशा की जांच के लिए ट्राई ने सोमवार को एक मसौदा जारी पर सभी पक्षकारों से परामर्श देने के लिए कहा है।
ट्राई ने कहा है कि कई ब्राडकास्टर प्रचलित चैनल को देखने की दरों में बढ़ोतरी करने वाले हैं। वे उपभोक्ताओं में यह भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं कि न्यू टैरिफ आर्डर और ब्राडकास्ट रेगुलेशन 2.0 की वजह से उन्हें प्रचलित चैनल की दरों में बढ़ोतरी करनी पड़ रही है। ट्राई के मुताबिक ये ब्राडकास्टर ऐसी भ्रांति फैला रहे है कि जिन उपभोक्ताओं ने अधिक देखे जाने वाले जनरल एंटरटेनमेंट और स्पोर्ट्स चैनल लिया है, उन्हें अलग से 100 रुपये देने पड़ेंगे।
ट्राई के मुताबिक हकीकत यह है कि न्यू टैरिफ आर्डर और ब्राडकास्ट रेगुलेशन 2.0 (एनटीओ 2.0) में ऐसा कुछ नहीं है। कुछ ब्राडकास्टर ने न्यू टैरिफ आर्डर और ब्राडकास्ट रेगुलेशन 2.0 की वजह से अपने उपभोक्ताओं को फायदा भी दिया है। ट्राई ने कहा है कि एनटीओ 2.0 में उपभोक्ता और ब्राडकास्टर कंपनियां दोनों के हितों का ख्याल रखा गया है और इससे दोनों को फायदा हुआ है। ट्राई के मुताबिक इस साल मार्च अंत तक देश में 18.4 करोड़ घरों में विभिन्न चैनल देखने के लिए केबल, डीटीएच व अन्य माध्यम का उपयोग किया जा रहा है।