सोरसन बचाने के लिए 1 नवम्बर की पदयात्रा को पर्यावरण संगठनों का समर्थन

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कोटा। गोडावण और काले हिरणों के प्राकृतिक आवास ब्रह्माणी माता सोरसन वन क्षेत्र में उत्खनन की लीज जारी करने पर राज्य सरकार को संकल्प याद दिलाने के लिए पर्यावरण संगठनों ने विधायक एवं पर्यावरणविद् भरत सिंह के आव्हान पर 1 नवम्बर को आयोजित पद यात्रा का समर्थन किया है। इसी के साथ सरकार से मांग की है सोरसन को बिना देरी किए अभ्यारण्य का दर्जा दिया जाए।

चम्बल संसद के सभापति जीडी पटेल, राष्ट्रीय जल बिरादरी के प्रदेश उपाध्यक्ष बाघ मित्र बृजेश विजयवर्गीय, भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक निधि- इंटेक के कंवीनर निखिलेश सेठी, को -कंवीनर बहादुर सिंह हाड़ा, पर्यटन विकास समिति के उपाध्यक्ष जयवर्द्धन सिंह, प्रेस क्लब अध्यक्ष गजेंद्र व्यास, कोटा एनवायरमेंटल सेनीटेशन सोसायटी के सचिव विनीत महोबिया, कोटा डेवलपमेंट फोरम के अध्यक्ष यज्ञदत्त हाड़ा, मुकुंदरा लोकल एडवाईजरी कमेटी की सदस्य गीता दाधीच समाजसेवी अर्चना राजावत, रोटरी क्लब राउण्डटाउन के नेमीचंद शर्मा, स्मृतिवन समिति के मुकेश सुमन, पुष्पेश भारद्वाज, भवानी शंकर मीणा,आईएसटीडी की चेयरपर्सन अनिता चौहान ने संयुक्त बयान में पद यात्रा को समर्थन का समर्थन किया है

उन्होंने कहा कि सोरसन वन क्षेत्र काले हिरणों और गोडावण तथा अनेक वन्यजीवों, प्रवासी पक्षियों का प्राकृतिक आवास है। इसे खनन के लिए बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा। पर्यावरण एवं वन्यजीवों को बचाना सरकार का संकल्प है। सरकार का वन विभाग इसके लिए बना है। लेकिन, दुर्भाग्य से विभाग अपने कर्त्तव्य की पालना नहीं कर पा रहा। उसके अधिकारी खनन पर मूक दर्शक बने हुए हैं।

विजयवर्गीय ने बताया कि मुख्यमंत्री को गलत कार्यों पर अंकुश लगाते हुए वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास को बचाने का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। केंद्र व राज्य सरकारें सभी वन संरक्षण के प्रति कृतसंकल्प हैं । इसके लिए वन विभाग, एनटीसीए, गोडावण ब्रीडिंग सेंटर, प्रोजेक्ट टाईगर,वन्यजीव संस्थान, बाॅयलोजिकल पार्क आदि क्या ये दिखावटी संस्थायें हैं। सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।