शाहरुख खान के बेटे आर्यन समेत 8 आरोपी न्यायिक हिरासत में

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मुंबई। मुंबई में क्रूज पर ड्रग्स पार्टी में एनसीबी की छापेमारी में हिरासत में लिए गए शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) की जमानत पर गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने आर्यन खान सहित 8 आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत (Aryan Khan Judicial Custody 14 Days) में भेज दिया है। कोर्ट ने कहा कि किसी को कस्‍टडी में लेकर पूछताछ की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि जांच के लिए एनसीबी को पर्याप्त समय और अवसर दिया गया था। इसलिए, आर्यन खान और अन्य को न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है।

कोर्ट में जज ने सबमिशन और रिमांड रिपोर्ट के आधार पर सार यही है कि आरोपियों के लिए एनसीबी की ओर से कस्‍टडी की मांग की गई है। वह अचित कुमार के साथ उनका सामना करवाना चाहती है। अचित के नाम का खुलासा अरबाज मर्चेंट और आर्यन खान द्वारा किया गया था। वे आरोपी नंबर 9 और अन्य आरोपियों का भी सामना करवाना चाहते हैं, जिन्हें 6 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था और रिमांड पर लिया गया था। मैं इस पहलू में नहीं जाना चाहता कि किसी आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए अधिकारी को इतना समय क्यों चाहिए। अचित की गिरफ्तारी के समय को ध्यान में रखते हुए, जब आर्यन और अचित दोनों एनसीबी की हिरासत में थे, कोर्ट में पेशी होने तक कुछ भी जांच नहीं की गई। इसके अलावा, एनसीबी ने सही तर्क दिया कि जांच के विवरण को पॉइंट आउट करने की जरूरत थी और यह रिमांड में प्रतिबिंबित नहीं होता है। इसलिए रिमांड अप्‍लीकेशन में अस्पष्ट आधार पर, हर आरोपी की कस्‍टडी को नहीं बढ़ाया जा सकता है। इसलिए सभी 8 आरोपी को न्‍यायिक हिरासत में भेजा जाता है।

आर्यन खान का केस जाने-माने वकील सतीश मानशिंदे लड़ रहे हैं। आर्यन खान को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के तुरंत बाद सतीश मानशिंदे ने कोर्ट में दो जमानत अर्जी दी हैं। एक अंतरिम जमानत की ताकि तत्‍काल जमानत मिले और दूसरी रेगुलर बेल की, ताकि जब तक इस केस की जांच हो तब तक आर्यन खान जमानत पर रहें। वहीं, एएसजी ने कहा कि आप अंतरिम जमानत पर सुनवाई कर सकते हैं, रेगुलर बेल के लिए आपको स्‍पेशल कोर्ट जाना होगा। एनडीपीएस ऐक्‍ट के तहत एनसीबी पहले ही रेगुलर बेल का विरोध कर चुकी है। फिलहाल, शुक्रवार को 11 बजे जमानत याचिका पर सुनवाई होगी।

बताते चलें कि ड्रग्स को लेकर हुई सनुवाई में कोर्ट का फैसला शाम के 7 बजे आया है। 7 बजे तक जेल के दरवाजे बंद हो जाते हैं। लिहाजा, आर्यन खान और बाकी 7 आरोपियों की गुरुवार की रात जेल में नहीं कटेगी। आर्यन और बाकी दूसरे आरोपियों को एनसीबी दफ्तर के लॉकअप में ही रात बितानी पड़ेगी। ऐसे में एनसीबी के लॉकअप को ही न्‍यायिक हिरासत मान लिया गया है। हालांकि, इस दौरान एनसीबी आर्यन या बाकी 7 आरोपियों से कोई पूछताछ नहीं कर सकेगी, क्‍योंकि वो न्‍यायिक हिरासत में हैं। जेल ने आर्यन और बाकी 7 आरोपियों की कोविड-19 रिपोर्ट नहीं होने के कारण गुरुवार की रात कारागार में रखने से इनकार किया है। कोर्ट ने एनसीबी के लॉकअप में आरोपियों को परिवार से मिलने की अनुमति दे दी है।

आर्यन खान को लेकर कोर्ट में सुनवाई शुरू होने पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह ने कहा कि अब तक 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया। एनसीबी ने अचित कुमार को आर्यन खान की गवाही पर गिरफ्तार किया। ऐसे में इन दोनों को आमने-सामने बिठाकर पूछताछ किए जाने की जरूरत है। एएसजी ने कहा कि आगे की जांच और अपराध की गंभीरता को देखते हुए हिरासत की अवध‍ि बढ़ाने की आवश्यकता है। जांच एक ऐसे मुकाम पर है, जहां इन दोनों का आमना-सामना करवाना जरूरी है। आरोपों और तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, दोनों आरोपियों की कस्‍टडी जरूरी है। एएसजी ने कहा कि एक व्यक्ति को दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। अधिनियम का उद्देश्य गिरोह को हमेशा के लिए रोकना है।

आर्यन खान के वकील सतीश मानशिंदे ने कहा कि जहां तक आर्यन के मामले का संबंध है, पहले दिन वह तुरंत एक और दिन की रिमांड के लिए सहमत हो गए, यह सोचकर कि इससे केस में कुछ डपलपमेंट होगा। लेकिन कुछ और गिरफ्तारियों के अलावा और कुछ नहीं हुआ है। सतीश मानशिंदे ने कहा कि जहां तक आर्यन से पूछताछ की बात है, अध‍िकारियों ने उनके विदेश में प्रवास से जुड़े सवालों के अलावा और कुछ नहीं पूछा है।

सतीश मानशिंदे ने कहा कि यदि आर्यन खान बयान पर किसी को गिरफ्तार किया जाता है, तो जांच से जुड़े किसी वरिष्ठ अधिकारी को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि यह वही शख्‍स है या नहीं, उससे आर्यन का संबंध है या नहीं, लेकिन कल से आज तक में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। कल, जब उन्होंने अचित कुमार को गिरफ्तार किया, तो उन्हें आर्यन से उनका सामना करवाना चाहिए था। यह देखना चाहिए था कि अचित सही में अरबाज या आर्यन से संबंधित थे या नहीं। लेकिन अध‍िकारियों ने ऐसा नहीं किया। ऐसे में रिमांड के लिए सिर्फ आमना-सामना करवाने का एकमात्र आधार नहीं होना चाहिए।